Shravani Mela 2025 | संजीव मिश्रा, देवघर: सावन के पवित्र महीने में चारों ओर हरियाली, शिवभक्ति और कांवरियों का जनसैलाब दिख रहा है. हर कोई भोलेनाथ को प्रसन्न करने में जुटा है. ऐसे में पश्चिम बंगाल के रिसड़ा शहर से आये आकाश रावत की कांवर यात्रा श्रद्धा और समर्पण की मिसाल बन गयी.
बेटी को कांवर में बिठा तय की 105 किमी की यात्रा
बता दें कि आकाश रावत ने अपनी एक साल आठ महीने की बेटी कनिष्का रावत को कांवर में बिठाकर सुल्तानगंज से बाबा धाम तक की 105 किलोमीटर लंबी यात्रा पूरी की. आकाश ने सावन की पहली सोमवारी को बाबा मंदिर पहुंचकर देवों के देव महादेव के दर्शन किये. आकाश रावत ने भोलेनाथ से संतान की कामना की थी.
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मन्नत पूरी करने पहुंचे पिता और चाचा
बताया जा रहा है कि आकाश रावत ने भोलेनाथ से मन्नत मांगी थी कि यदि उनके घर लक्ष्मी रूपी बेटी का जन्म हुआ, तो उसे कांवर में बैठाकर देवघर तक की यात्रा करेंगे. बाबा भोले ने उनकी झोली भर दी. कनिष्का के जन्म के बाद पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गयी. कनिष्का के चाचा ने भी इस संकल्प में भागीदारी निभायी, जब बेटी थोड़ी बड़ी हुई, तो तय हुआ कि अब मन्नत पूरी करनी है.
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तीन दिनों में तय की पूरी यात्रा
कांवर के एक ओर गंगाजल और दूसरी ओर बेटी कनिष्का को बैठाकर तीन दिनों में कठिन यात्रा पूरी कर बाबा की नगरी पहुंचे. आकाश ने बताया, बेटी लक्ष्मी का रूप होती है और जब उसे कांवर में बैठाकर बाबा के द्वार लाया, तो मन को शांति मिली. ऐसा लगा जैसे जीवन का उद्देश्य पूरा हुआ. उनके भाई ने कहा, यह सिर्फ यात्रा नहीं भावों की अभिव्यक्ति थी. यह आस्था, परंपरा और परिवार के एक होने का प्रतीक है.
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