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Shravani Mela: कांवर यात्रा में दिख रहा आस्था, परंपरा और बाल भावनाओं का अद्भुत संगम

Shravani Mela: कांवर यात्रा में नन्हे कदमों की आहट हो रही है. इससे साबित होता है कि भक्ति के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती. भोलेनाथ के बाल कांवरियों की आस्था और उत्साह का अनोखा संगम कांवर पथ पर दिख रहा है. इन मासूम श्रद्धालुओं की आस्था के आगे हर कोई नतमस्तक है.

Shravani Mela | देवघर, आशीष कुंदन: कांवरिया पथ पर आस्था का अद्भुत संगम दिख रहा है. यहां श्रद्धालुओं में छोटे-छोटे बाल कांवरियों की उपस्थिति विशेष ध्यान खींचती है. इन मासूम श्रद्धालुओं की आस्था देख हर कोई नतमस्तक हो जाता है. कोई मन्नत पूरी होने पर आया है, तो किसी को माता-पिता ने आस्था के इस पर्व से जोड़ने का संकल्प लिया है. कांवर यात्रा के इस पवित्र मार्ग पर नन्हे कदमों की आहट के साथ देशभक्ति की ध्वनि भी सुनायी देती है.

बाबा धाम पर टिकी नन्हे कांवरियों की नजर

कोई गमछे में बंधा है, कोई थक कर पिता की गोद में है, लेकिन हर किसी की नजर बाबा धाम पर टिकी है. अनेक बाल कांवरिये, जिनकी आस्था देख हर किसी की आंखें श्रद्धा से भर जाती हैं. नन्हें कांवरियों की मौजूदगी ने इस यात्रा को और भी भावनात्मक बना दिया है. बाबा बैद्यनाथ की नगरी में इन बाल श्रद्धालुओं की आस्था को देख कहा जा सकता है कि भक्ति उम्र की मोहताज नहीं, नन्हें कदमों से भी मिलती है परम शक्ति.

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गमछे से बांधकर कर रहे कांवर यात्रा

बिहार की राजधानी पटना से आये डेढ़ वर्षीय शिवम को उसके पिता गमछे से अपनी पीठ पर बांधकर कांवर यात्रा कर रहे हैं. साथ में शिवम की मां भी चल रही है. हालांकि, सफर में थोड़ी परेशानी हुई है. लेकिन बच्चे की मुस्कान थका देने वाली राह को आसान बना देती है.

वहीं, बेतिया के कन्हैया कुमार अपनी तीन वर्षीय बेटी कृति कुमारी को लेकर पैदल यात्रा कर रहे हैं. जबकि, सीवान से आयी साढ़े तीन वर्षीय पल्लव कुमारी ने सुल्तानगंज से जल भरने के बाद 12 किलोमीटर तक पदयात्रा की. उसके बाद थकान होने पर परिजन वाहन में बैठाकर यात्रा पूरी करा रहे हैं.

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अच्छी पढ़ाई की मन्नत लिए कर रहा पैदल यात्रा

इधर, दुमका के नयापाड़ा की चार वर्षीय रुही अपने माता-पिता का हाथ थामे पैदल चल ही थी. यह दृश्य हर किसी को भावविभोर कर रहा था. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर से आये आठ वर्षीय आर्यन गुप्ता की मन्नत पूरी होने पर वह बाबा के दर्शन को पैदल यात्रा पर आया है.

वहीं, पलामू के 10 वर्षीय हर्ष कुमार अच्छी पढ़ाई की मन्नत लेकर कांवर यात्रा कर रहा है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ का विक्की और बांका के धरहरा निवासी नौ वर्षीय रंजीत भी मन्नत पूरी होने के कारण कांवर यात्रा में बाबाधाम आ रहा है.

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देश प्रेम का संदेश भी दिया

इसी तरह लखीसराय के चार वर्षीय वीरमणि अपने फुफेरे भाई के कंधे पर बैठकर यात्रा करता दिखा. कांवरियों की टोली ने दिया देश प्रेम का संदेश कांवर यात्रा में देशभक्ति की भावना भी झलक रही है. कांवरियों के कंधों पर जहां एक तरफ गंगाजल की थैली लटक रही है. वहीं, दूसरी तरफ तिरंगा फहराता दिख रहा है. एक युवा कांवरिया ने गेरुआ थैले के साथ तिरंगा झंडा भी अपने कांवर में लगाया था. उन्होंने कहा, “हम बाबा की भक्ति के साथ देशप्रेम दर्शा रहे हैं.”

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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