Shravani Mela: झारखंड के देवघर में लगने वाला श्रावणी मेला आस्था, उमंग और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत समागम है. इसका आयोजन भगवान शिव के पवित्र माह सावन में बाबा बैद्यनाथ धाम में होता है. इस पवित्र और शुभ महीने में हजारों-लाखों की संख्या में देश-विदेश से बाबा के भक्त बैद्यनाथ धाम में स्थित ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण करने पहुंचते हैं. यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से काफी खास है. सावन में हर दिन बाबा का खास श्रृंगार भी किया जाता है.
कांवरियों पर बरसता है भोलेनाथ का आशीर्वाद

बाबा नगरी के नाम से मशहूर देवघर में सावन के महीने में श्रावणी मेला लगता है. यह एक धार्मिक मेला है, जिसमें हिस्सा लेने काफी संख्या में श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ धाम आते हैं. इस दौरान बाबा के भक्त, जिन्हें कांवरिया कहा जाता है. बिहार के सुल्तानगंज के अजगैवीनाथ धाम से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल भरकर पैदल देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम तक आते हैं. यहां उस जल को भक्त भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाते हैं. उनकी लगभग 105 किलोमीटर की इस कठिन यात्रा को ‘बोल बम’ कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रावणी मेले के दौरान बाबा पर जल अर्पण करने से प्रसन्न होकर महादेव भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं और उनपर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं.
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सावन माह में बढ़ जाता है मंदिर का महत्व
देवघर को “देवताओं का निवास” स्थान भी कहा जाता है. यह बाबा बैद्यनाथ का धाम है, जो महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर को भगवान शिव के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि यहां मौजूद शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु ने की थी. यह शिवलिंग काफी खास है. इस मंदिर में सालों भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. सावन महीने में इस मंदिर का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. भक्त लंबी लाइन में लगकर बाबा के दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां आने वाले हर भक्तों की सारी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
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बाबा का होता है भव्य श्रृंगार

जानकारी हो कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव का खास और भव्य श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद संध्या आरती होती है. श्रृंगार के दौरान भोलेनाथ को फूल या रूद्राक्ष से बना विशेष मुकुट पहनाया जाता है, जो काफी खास होता है. इस विशेष मुकुट की खासियत है कि इसे जेल में बंद कैदी बनाते हैं. देवघर के बैद्यनाथ धाम में यह परंपरा काफी सालों से चली आ रही है.
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