मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की स्मृति दिवस मनाया गया. उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व के धनी थे. वो समाज सुधारक, दार्शनिक, शिक्षाविद् व विद्वान थे. आज से दो शतक पूर्व उन्होंने देश में सामान्य शिक्षा के साथ बालिका शिक्षा व विधवा विवाह आदि को न सिर्फ प्रोत्साहित किया बल्कि उसका संचार किया. साथ ही उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीति, कुनीति, कुप्रथा, अंधविश्वास, अंधश्रद्धा, बाल विवाह व बहु-विवाह आदि का पुरजोर विरोध किया. देश में तर्कशील, लोकतांत्रिक वैज्ञानिक चेतना के विकास के लिए सतत प्रयासरत रहे. उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को अपने जीवन में उतारा. इस संदर्भ में दर्जनों प्रसंग इनके जीवन से जुड़े हुए है. उन्होंने संस्कृत, बंगला व अंग्रेजी में 50 से अधिक पुस्तकों की रचनाएं की है. उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि उनके सपनों, विचारों सहित संविधान सम्मत, समतामूलक, तर्कशील, वैज्ञानिक चेतनायुक्त तथा अंधविश्वास, अंधश्रद्धा मुक्त नया भारत बनाने के लिए युवा आगे आयें तभी बेहतर समाज व देश बनाया जा सकता है. युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी शक्ति है. देश कि भविष्य युवाओं के कंधे पर है. युवा ही भविष्य निर्माता हैं , इसलिए युवाओं का दायित्व बनता है, इस पर पहल करें. अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किया.
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