झारखंड में डीजल पर वैट दर घटाकर 15% कर दी गयी है, इसके बावजूद बीसीसीएल द्वारा अब भी पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से डीजल की खरीद की जा रही है. पश्चिम बंगाल में 17% टैक्स लगता है. इस अनदेखी के कारण कंपनी को हर माह लाखों- करोड़ों रुपये तक की आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. गौरतलब है कि पहले झारखंड में डीजल पर 22% टैक्स (वैट) वसूला जाता था, इसे 21 अप्रैल 2025 को घटाकर 15% कर दिया गया. इस संबंध में राज्य कर विभाग, धनबाद द्वारा बीसीसीएल को अप्रैल में ही इस संशोधित वैट दर की जानकारी पत्र के माध्यम से दी गयी थी. इसके बाद बीसीसीएल के महाप्रबंधक (वित्त) ने 18 जून को सभी क्षेत्रों को पत्र लिखकर थोक डीजल खरीद पर टैक्स छूट का लाभ उठाने की दिशा में नोटशीट तैयार करने का निर्देश दिया था. साथ ही संबंधित महाप्रबंधकों से इस पर प्रतिक्रिया भी मांगी गयी थी, ताकि थोक डीजल खरीद प्रमाणपत्र से जुड़ी आवश्यक प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सके. लेकिन स्थिति यह है कि इस पत्राचार और निर्देश के बावजूद न तो आवश्यक कार्रवाई हो सकी है और न ही संबंधित अधिकारी व बाबू स्तर पर किसी तरह की तत्परता ही दिखायी गयी है. नतीजतन, आज भी बीसीसीएल बंगाल से ही डीजल की खरीदारी कर रही है. इससे कंपनी को प्रति लीटर पर लगभग 1.80 रुपये से अधिक का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं झारखंड सरकार के राजस्व की भी हानी हो रही है.
प्रति माह 2500-3000 केएल डीजल की खरीद :
जानकारी के अनुसार बीसीसीएल हर माह इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आइओसी) व भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसी) से लगभग 2500 से 3000 केएल डीजल की खरीदारी करता है. चूंकि एक टैंकर में औसतन 14 केएल डीजल होता है, इसलिए इस स्तर की आपूर्ति में ट्रांसपोर्टिंग कॉस्ट भी बड़ा कारक बन जाती है. झारखंड के बजाय बंगाल से डीजल मंगाने पर न केवल टैक्स अधिक देना पड़ रहा है, बल्कि अतिरिक्त ट्रांसपोर्टिंग लागत भी कंपनी की वित्तीय हानि में इजाफा कर रही है. इसे विशेषज्ञ कंपनी के नीतिगत लापरवाही का खामियाजा बता रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है