एक्जोटिका अपार्टमेंट में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के छठे दिन कथा वाचक पंडित उदय तिवारी ने महारास, गोपी गीत, मथुरा गमन और रुक्मिणी विवाह जैसे दिव्य प्रसंगों को अद्वितीय भाव के साथ प्रस्तुत किया. शनिवार को कथा का आरंभ महारास से हुआ. जब श्रीकृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य किया. पंडित तिवारी ने कहा कि महारास केवल नृत्य नहीं, वह आत्मा की उस स्थिति का प्रतीक है, जहां भक्त और भगवान एक हो जाते हैं. इस प्रसंग में भक्ति की पराकाष्ठा और प्रेम की निरपेक्षता दिखी. जब कृष्ण मथुरा चले गये, तो गोपियों ने विरह में जो गीत गाये, वही गोपी गीत कहलाया. एक ऐसा राग जिसमें विरह भी भक्ति है और अश्रु भी आराधना. गोपियों ने भगवान को पाया नहीं, पर कभी खोया भी नहीं, क्योंकि उनका प्रेम देह से नहीं, आत्मा से जुड़ा था. प्रेम वही जो त्याग में मुस्कुराये, भक्ति वही जो विरह में अडिग रहे.
रूक्मिणी विवाह की झांकी ने मोहा :
कथा के अंत में रुक्मिणी विवाह का शुभ प्रसंग आया. रुक्मिणी ने बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपने मन, वचन और भाव से पति स्वीकार कर लिया था. रुक्मिणी ने एक पत्र में अपना संपूर्ण हृदय समर्पित कर दिया, और कृष्ण दौड़े चले आये. यह प्रसंग यह सिखाता है कि सच्चे प्रेम में आग्रह नहीं होता, सिर्फ समर्पण होता है. कृष्ण रुक्मिणी विवाह के प्रसंग को सुमधुर भजनों के बीच झांकी के रूप में प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में एक्जोटिका भागवत समिति के सभी सदस्य सक्रिय रूप से लगे हुए हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है