रसोई गैस की डिलीवरी को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए गैस कंपनियों ने डिलिवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डैक) की व्यवस्था की है. 15 जून से इसे पूरे जिले में लागू कर दिया गया है. अब डिलिवरी ऑथेंटिकेशन कोड बताने पर ही उपभोक्ताओं को गैस सिलिंडर की डिलिवरी की जायेगी. गैस कंपनियों ने सभी गैस एजेंसियों को निर्देश जारी कर दिया है कि बिना कोड बताये किसी भी ग्राहक को सिलिंडर नहीं दिया जाये. महावीर गैस एजेंसी के अनुसार, वर्तमान में 60 प्रतिशत उपभोक्ता इस नई व्यवस्था का पालन कर रहे हैं और जल्द ही इसे शत-प्रतिशत लागू कर दिया जायेगा.
क्या है डैक कोड सिस्टम :
गैस बुकिंग के बाद जैसे ही एजेंसी वाउचर तैयार करती है, उपभोक्ता के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर चार अंकों का डिलिवरी ऑथेंटिकेशन कोड भेजा जाता है. डिलिवरी कर्मी जब सिलिंडर लेकर उपभोक्ता के घर पहुंचते हैं, तो उन्हें वही कोड बताना अनिवार्य होता है. मोबाइल नंबर और केवाईसी कराना जरूरी : जिन उपभोक्ताओं ने अब तक अपना मोबाइल नंबर अपडेट नहीं कराया है, उन्हें जल्द से जल्द अपनी गैस एजेंसी में जाकर नंबर अपडेट कराना होगा. बिना पंजीकृत मोबाइल नंबर के डीएसी नहीं मिल पायेगा.उपभोक्ताओं के लिए सुझाव:
अपने गैस एजेंसी में मोबाइल नंबर अपडेट करायें अगर केवाइसी नहीं कराया है, तो तुरंत करायें
गैस डिलीवरी पर ओटीपी जरूर साझा करेंकोट
पहले ग्राहक से वाउचर पर हस्ताक्षर लिया जाता था. अब कोड जरूरी कर दिया गया है. जब तक ग्राहक कोड नहीं बतायेंगे, सिलिंडर की डिलिवरी नहीं दी जायेगी. यह व्यवस्था उपभोक्ता हित में है और धीरे-धीरे 100 प्रतिशत लागू कर दी जाएगी.
देव नारायण सिंह,
महावीर गैस एजेंसीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है