चार करोड़ रुपये की लागत से आइटीआइ धनबाद को नया रूप देने की योजना पर अभी तक अमल शुरू नहीं हो पाया है. 13 मई को भवन प्रमंडल द्वारा टेंडर खोला गया था, लेकिन दो माह बीतने के बाद भी कैंपस के किसी भी हिस्से का नवीकरण कार्य शुरू नहीं हो पाया. इस देरी से न केवल संस्थान की छवि प्रभावित हो रही है, बल्कि छात्रों व शिक्षकों को भी काफी परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है. छतों से टपकता पानी, दीवारों पर सीलन और खराब मशीनें तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं. सवाल उठता है कि जब समयबद्ध निर्माण का दावा निविदा में किया गया था, तो फिर कार्य की शुरुआत में यह लापरवाही क्यों. संस्थान में एक हजार से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे है.
बदबू के बीच प्रशिक्षण लेना मुश्किल :
संस्थान के वर्कशॉप व कक्षाओं की छतें जगह-जगह से टपक रहीं हैं. बरसाती पानी से मशीनें और अन्य उपकरण खराब हो रहे हैें. इससे छात्रों को सही से प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है. संस्थान की दीवारों में सीलन से नमी और बदबू के बीच छात्रों को बैठना मुश्किल हो जाता है. कुछ दीवारों में दरारें भी आने लगी हैं.टेंडर में स्पष्ट समयसीमा, फिर भी शुरू नहीं हुआ कार्य :
नवीकरण कार्य के लिए विभिन्न हिस्सों के लिए बजट व समयसीमा तय की गयी थी. जैसे पीसीसी रोड (23 लाख, एक माह), शौचालय (19 लाख, तीन माह), हॉस्टल और गेट (7-7 लाख, एक माह), हाइटेक भवन (21 लाख, तीन माह) आदि. सबसे अधिक 46 लाख रुपये का बजट एडमिन भवन के लिए था. इसे पांच माह में पूरा करना था. लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हो सका है.30 साल बाद होना है संस्थान का नवीकरण :
जानकारी के अनुसार संस्थान का नवीकरण लगभग 30 साल बाद होना है. अबतक इसका रखरखाव नहीं होने से संस्थान के भवन जर्जर हो चुके हैं. इसे लेकर आइटीआइ धनबाद प्रबंधन की ओर से सरकार को कई बार पत्र लिखा गया था. इसके बाद नवीनीकरण कार्य के लिए फंड आवंटित हुआ. इसके बाद भी अब तक काम शुरू ही नहीं हुआ.छात्रों की मांग: जल्द शुरू हो कार्य :
संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि वे आधुनिक संसाधनों और साफ-सुथरे वातावरण में तकनीकी शिक्षा लेना चाहते हैं. लेकिन हालात इससे उलट हैं. उन्होंने जिला प्रशासन व भवन प्रमंडल से जल्द कार्य शुरू करने की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है