कोयलांचल में शुक्रवार को उस समय आस्था का सागर उमड़ पड़ा, जब जगन्नाथ रथयात्रा के पावन अवसर पर भक्तों ने उल्लास और भक्ति के साथ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली. जय जगन्नाथ के जयकारों से गूंजते वातावरण में परंपराओं और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला. धनसार स्थित जगन्नाथ मंदिर में अहले सुबह से ही पूजा-अर्चना शुरू हो गयी. 1008 मंत्रों के साथ भगवान का अभिषेक किया गया. पुरी से पधारे दिवाकर पांडा ने भगवान का अलौकिक श्रृंगार किया. उनका आसन ताजे फूलों से सजाया गया.
सुबह में ही खोल दिया गया था मंदिर का पट :
सुबह ही मंदिर का पट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिया गया. सुहागिन महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में पुरुष, युवतियां और बच्चे भगवान के दर्शन को पहुंचे और चरणों में भक्ति समर्पित की. सभी ने सुख-समृद्धि की कामना की. शाम चार बजे भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा सुसज्जित रथ पर विराजमान हुए. रथयात्रा से पहले पारंपरिक ‘छेरा-पहरा’ की रस्म निभायी गयी. परंपरा के अनुसार, पुरी में राजा रथ के आगे झाड़ू लगाते हैं. उसी परंपरा को निभाते हुए रथ यात्रा प्रारंभ हुई. भक्तों ने उत्साहपूर्वक रथ का रस्सा खींचा. रथयात्रा धनसार मंदिर से चलकर बैंकमोड़, पानी टंकी, हावड़ा मोचर्स, जोड़ाफाटक होते हुए पुनः धनसार पहुंची. इसके साथ ही भगवान अपनी मासी बाड़ी पहुंच गये, जहां वे आठ दिनों तक विश्राम करेंगे. इसके बाद पांच जुलाई को बहुड़ा यात्रा निकाली जायेगी और भगवान पुनः अपने निवास लौटेंगे. इस रथयात्रा का नेतृत्व महिलाओं ने किया. मौके पर संघ की अध्यक्ष शकुंतला मिश्रा, उपाध्यक्ष इंदु महापात्रा, डॉ सरोजा हाजरा, महेश्वर राउत सहित बड़ी संख्या में भक्तगण और मंदिर के पदाधिकारी उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है