झारखंड में माइनर मिनरल्स की लीज स्वीकृति को लेकर हुई ऑडिट जांच में कई गड़बड़ियां सामने आयी है. राज्य के छह जिलों में की गयी जांच में पता चला कि जिला खनन पदाधिकारियों (डीएमओ) ने नियमों का उल्लंघन कर कई मामलों में अधूरे दस्तावेजों पर और डिफॉल्टरों को लीज स्वीकृत कर दी है. धनबाद जिले की बात करें, तो यहां दो मामलों में डिफॉल्टरों को माइनर मिनरल्स की लीज दी गयी. जबकि छह मामलों में बिना आवश्यक दस्तावेजों के ही लीज की स्वीकृति दे दी गयी. ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, लीज स्वीकृति के लिए आवश्यक रैयत की सहमति, रॉयल्टी क्लियरेंस सर्टिफिकेट जैसे जरूरी दस्तावेजों की अनुपस्थिति में आवेदन को 30 दिनों के भीतर खारिज कर देना चाहिए था. लेकिन संबंधित अधिकारियों ने इन नियमों की अनदेखी करते हुए लीज स्वीकृत कर दी है. धनबाद सहित जिन जिलों में अनियमितताएं पायी गयीं हैं, उनमें धनबाद के अलावा साहिबगंज, चतरा, पलामू, चाईबासा व पाकुड़ शामिल है. पूरे राज्य की ऑडिट जांच में 44 ऐसे मामले सामने आये, जिनमें नियमों की अनदेखी की गयी है. यह खुलासा झारखंड इंटिग्रेटेड माइंस एंड मिनरल मैनेजमेंट सिस्टम (जेआइएमएमएस) पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों व संबंधित दस्तावेजों की जांच के आधार पर किया गया. अब देखना यह होगा कि इन अनियमितताओं के बाद कार्रवाई क्या होती है.
क्या है ऑडिट रिपोर्ट :
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक जेआइएमएमएस पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों में नवंबर 2023 में राज्य में कुल 727 माइनिंग लीज कार्यरत थे. इनमें 128 मेजर मिनरल व 599 लीज माइनर मिनरल के हैं. ऑडिट ने नमूना जांच के लिए छह जिलों को चुना. इसमें धनबाद, साहिबगंज, पाकुड़, चाईबासा, पलामू व चतरा शामिल है. इन छह जिलों में कुल 344 लीज कार्यरत थे. इसमें 65 मेजर मिनरल्स व 279 माइनर मिनरल्स के हैं. उक्त जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेज की जांच में पाया गया कि मार्च 2022 तक 279 लीज में से 269 कार्यरत थे. इसमें से 89 लीज के मामले वर्ष 2017-2022 के बीच स्वीकृत किये गये थे. जबकि शेष 180 लीज के मामले वर्ष 2017 से पहले स्वीकृत हुए हैं.नमूना जांच के लिए 119 लीज के मामले को चुना :
ऑडिट ने नमूना जांच के लिए कार्यरत 269 लीज में से कुल 119 को चुना. इसमें से 42 मामले वर्ष 2017-22 व 77 मामले वर्ष 2017 से पहले स्वीकृत किये गये थे. जांच के क्रम में चुने गये 119 लीज में से 44 मामलों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पायी गयी है. इसमें सर्वाधिक मामले अधूरे दस्तावेज पर लीज स्वीकृत करने के पकड़ायें है. जबकि डिफॉल्टरों को भी लीज स्वीकृत कर दिया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है