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झारखंड के इस जिले में म्यूटेशन के 4920 मामले पेंडिंग, गोविंदपुर अंचल की हालत सबसे खराब, CO ऑफिस का चक्कर काट रहे रैयत

Mutation Pending: धनबाद जिले के 12 अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन की प्रक्रिया काफी धीमी गति से हो रही है. जिले के विभिन्न अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन की करीब 4920 फाइलें लंबित हैं. इससे जमीन की खरीद-बिक्री, नामांतरण और अन्य कार्य अटक गए हैं. रैयत महीनों से अंचल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल रहा है. धनबाद जिले के सभी अंचलों में गोविंदपुर अंचल की स्थिति सबसे खराब है. यहां करीब 1640 म्यूटेशन फाइलें लंबित हैं.

Mutation Pending: धनबाद, मनोहर कुमार-धनबाद जिले में म्यूटेशन की प्रक्रिया पर जियो टैगिंग की अनिवार्यता भारी पड़ रही है. प्रशासन की मंशा तो भूमि रिकॉर्ड को पारदर्शी और डिजिटल बनाने की है, लेकिन इसके लिए जरूरी तकनीकी व मानव संसाधनों की कमी अब रैयतों व आम जनता के लिए सिरदर्द बन चुकी है. स्थिति यह है कि धनबाद जिले के 12 अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन की प्रक्रिया काफी धीमी गति से हो रही है. जिले के विभिन्न अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन की करीब 4920 फाइलें लंबित हैं. इससे जमीन की खरीद-बिक्री, नामांतरण और अन्य कार्य अटक गए हैं. रैयत महीनों से अंचल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल रहा है. सूचना के मुताबिक सर्वाधिक फाइलें राजस्व कर्मचारी स्तर पर अटकी पड़ी हैं. इसके अलावा सीआइ व सीओ स्तर पर कई मामले लंबित बताये जा रहे हैं. इधर म्यूटेशन लंबित रहने से जमीन की रजिस्ट्री के बावजूद खरीदार अपने नाम से जमीन ट्रांसफर नहीं करा पा रहे हैं. इससे कब्जा, दाखिल-खारिज, कर्ज, सब्सिडी जैसी सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं.

क्या है मामला?


सूचना के मुताबिक झारखंड सरकार ने जमीन के म्यूटेशन को पारदर्शी व सुरक्षित बनाने के लिए नयी व्यवस्था यानी जियो टैगिंग सिस्टम की शुरुआत की है. इसमें हर जमीन के प्लॉट का डिजिटल नक्शा तैयार किया जा रहा है. इसके तहत म्यूटेशन तभी होगा, जब राजस्व उपनिरीक्षक खुद मौके पर जाकर जमीन का भौतिक सत्यापन करेंगे. वहीं से जीपीएस लोकेशन वाली फोटो अपलोड करेंगे. इसका उद्देश्य जमीन से जुड़े फर्जीवाड़ा रोकना व रिकॉर्ड को और अधिक सुरक्षित करना है. वहीं जमीनी सच्चाई इससे परे है. जिले के अंचल कार्यालयों से बातचीत में जो बातें सामने आयी हैं, उससे पता चला कि कई जगहों पर न तो पर्याप्त प्रशिक्षण दिया गया है और न ही तकनीकी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके बावजूद नई व्यवस्था शुरू कर दी गयी है. जिले के अधिकारी हो या कर्मचारी किसी को भी प्रोपर प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. इसके अलावा, इंटरनेट की समस्या और फोटो अपलोड करने जैसी तकनीकी समस्याएं भी काम में बड़ी रुकावट बन रही है. ऐसे में अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन की फाइलें लटकी हुई हैं.

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गोविंदपुर अंचल सबसे पीछे


धनबाद जिले के सभी अंचलों में गोविंदपुर अंचल की स्थिति सबसे खराब है. यहां करीब 1640 म्यूटेशन फाइलें लंबित हैं. यह संख्या जिले के कुल लंबित मामलों के एक तिहाई के करीब है, जो स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है. वहीं धनबाद अंचल में 1240, बाघमारा में 520 व तोपचांची में 360 म्यूटेशन के मामले लंबित हैं. पुटकी अंचल कार्यालय में सबसे कम नौ मामले लंबित हैं.

जानें किस अंचल में कितने म्यूटेशन के मामले हैं लंबित


अंचल कार्यालय का नाम लंबित मामले
धनबाद 1240
गोविंदपुर 1640
पूर्वी टुंडी 200
टुंडी 120
बाघमारा 520
बलियापुर 200
झरिया 31
पुटकी 09
तोपचांची 360
कलियासोल 200
निरसा 200
एग्यारकुंड 200

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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