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Dhanbad News : घटना के वक्त गिरिडीह में था आदित्य, वारदातस्थल पर नहीं

नीरज सिंह हत्याकांड में पंकज सिंह की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता ने कहा

पूर्व डिप्टी मेयर व कांग्रेस नेता नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या मामले में मंगलवार को पंकज सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमए नियाजी ने बहस की. धनबाद के जिला व सत्र न्यायाधीश दुर्गेश चंद्र अवस्थी की अदालत में अधिवक्ता नियाजी ने कहा कि मोबाइल फोन के कॉल डिटेल के मुताबिक घटना की तिथि व समय को कथित चश्मदीद गवाह आदित्य राज का लोकेशन गिरिडीह था, न कि वारदात स्थल. मामले के अनुसंधानकर्ता ने अदालत के समक्ष उपलब्ध रिपोर्ट के बाद भी झूठा बयान दिया और कहा कि आदित्य राज का लोकेशन नीरज सिंह के साथ पाया गया. अधिवक्ता ने तर्क देते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को गोली लगेगी, वह अस्पताल से नहीं भागेगा. सेंट्रल अस्पताल के रजिस्टर में भी छेड़छाड़ की गयी. अस्पताल के डॉक्टर ने इस बात की पुष्टि अदालत में की है कि 15 मिनट के अंदर कोई भी अस्पताल 600 लोगों की रजिस्टर एंट्री और इलाज नहीं कर सकता. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि आदित्य राज ने कोर्ट में बयान देते हुए कहा कि वह ड्राइवर घोल्टू महतो के पीछे अशोक यादव के बगल में विंडो सीट के पास बैठा था. अदालत में साक्ष्य उपलब्ध है कि ड्राइवर सीट को छेदते हुए गोली बाहर निकली थी, तो आदित्य राज कैसे बच गया? उसे न छाती में, न पेट में न ही सिर में गोली लगी. जब उसके बगल और गाड़ी में बैठे सभी लोग खून से लथपथ थे, तो यह परिस्थिति बताती हैं कि वह अकेला नही बच सकता है. जबकि उस गाड़ी पर सैकड़ों रांउड गोलीबारी हुई. सेंट्रल अस्पताल के दस्तावेज यह बताते हैं कि 11.05 मिनट में आदित्य राज अस्पताल से बिना डॉक्टर की अनुमति के भाग गया था, चूंकि वह मौके वारदात पर नहीं था, इसलिए अभियोजन ने ये सारी कहानी गढ़ी है. अधिवक्ता ने कहा कि आदित्य राज ने अपने बयान में कहा है कि वह घटना के बाद बेहोश हो गया था. फिर वह अभिषेक सिंह को घटना के विषय में सारी बात कैसे बता सकता है. वहीं पहचान परेड के मुद्दे पर अधिवक्ता ने कहा कि आरोपियों की पहचान परेड गिरफ्तारी के 75 दिनों के बाद करायी गयी, उनकी तस्वीर अखबारों में छप गयी थी. इसकी पुष्टि विभिन्न अखबारों के संपादकों ने अदालत में दी गवाही में की है. इसलिए पहचान परेड का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने इस बाबत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित कई निर्णयों का हवाला दिया. सभी गवाहों के बयान एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. मामले के अनुसंधानकर्ता ने जानबूझकर अदालत से कई महत्वपूर्ण तथ्य छुपा लिये. सुनवाई के दौरान, संजय सिंह, डब्ल्यू मिश्रा हाजिर थे. अन्य आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया.

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