धनबाद-भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों में कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील श्रीवास्तव ने दी. लीगल काउंसलिंग के दौरान धनबाद, बोकारो, गिरिडीह और कोडरमा से कई लोगों ने कानूनी सलाह ली.
कसमार से सुशील कुमार साव ने पूछा ये सवाल
कसमार से सुशील कुमार साव का सवाल : मैंने 45 साल की उम्र में एलआइसी की 15 साल की पॉलिसी ली थी, जिसमें 90 हजार रुपये जमा किये. मैच्योरिटी पर 1.25 लाख मिलने थे, लेकिन अब एलआइसी कह रहा है कि यह उम्र के अनुसार मान्य नहीं थी, इसलिए सिर्फ 82 हजार रुपये देगा. मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आप पहले एलआइसी को एक लीगल नोटिस भेजिए. आपने पूरा प्रीमियम जमा किया है. आपको मैच्योरिटी की पूरी राशि मिलनी चाहिए. यदि इसके बाद भी समाधान न मिले, तो उपभोक्ता फोरम में मामला दायर करें. आपके पास पॉलिसी और प्रीमियम की रसीदें हैं, तो आपको पूरा भुगतान मिलेगा.
गिरिडीह से से शीबू कुमार रजक का सवाल : मैंने हाल ही में अपने दोपहिया वाहन का बीमा करवाया, लेकिन दो दिन बाद ही एक्सीडेंट हो गया. बीमा कंपनी क्लेम नहीं दे रही, कह रही है कि बीमा करवाते समय किसी दूसरे वाहन की फोटो दिया गया था. मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : इस तरह के मामले में वाहन के फोटो से अधिक जरूरी, गाड़ी का इंजन और चेचिस नंबर होता है. आप पहले अपने बीमा कंपनी को सारे दस्तावेज के साथ लीगल नोटिस दें. यदि फिर भी क्लेम नहीं मिले, उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करें. फोटो के लिए आप जिम्मेवार नहीं हैं. फोटो एजेंट लेते हैं.
बगोदर से अमिताभ गुप्ता का सवाल : मेरी कार का एक्सीडेंट हुआ था. इसे मेरा ड्राइवर चला रहा था. इंश्योरेंस क्लेम के लिए उसका ड्राइविंग लाइसेंस दिया, लेकिन बीमा कंपनी ने इसी आधार पर क्लेम रिजेक्ट कर दिया है. मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : सबसे पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके ड्राइवर का लाइसेंस वैध है. और यह लाइट मोटर व्हीकल के लिए अनुकूल है या नहीं. यदि लाइसेंस सही था, तो बीमा कंपनी का क्लेम रिजेक्शन गलत है. आप बीमा कंपनी से पुनर्विचार की मांग करें, फिर भी समाधान न मिले तो बीमा लोकपाल के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज करें. साथ ही, उपभोक्ता फोरम में भी मामला दायर करें. आपको क्लेम जरूर मिलेगा.
पतरातू से गोपाल मंडल का सवाल : मैं अपने दोपहिया वाहन के इंश्योरेंस क्लेम के लिए बीमा कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस करना चाहता हूं. क्या मुझे डीएलएसए से नि:शुल्क वकील मिल सकता है?
अधिवक्ता की सलाह : उपभोक्ता फोरम में पांच लाख रुपये से नीचे तक के क्लेम के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. आप स्वयं उपभोक्ता फोरम में बिना वकील के अपना केस प्रस्तुत कर सकते हैं, क्योंकि उपभोक्ता अदालत की प्रक्रिया सरल होती है.
गिरिडीह से लखन महतो का सवाल : मेरा बेटा एक ट्रांसपोर्ट कंपनी का ट्रक चलाता था. ट्रक एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गयी. बीमा क्लेम के लिए कंपनी कोई सहयोग नहीं कर रही है. क्या मैं अपने जिले में केस दर्ज कर सकता हूं?
अधिवक्ता की सलाह : जी हां, आप अपने जिले केस कर सकते हैं. ट्रांसपोर्टिंग कंपनी के खिलाफ लेबर कोर्ट में केस कर सकते हैं. साथ ही बीमा लाभ लेने के लिए उपभोक्ता फोरम में केस कर सकते हैं. इसमें आपको को बीमा कंपनी के साथ ही ट्रांसपोर्टर को भी पार्टी बनाना होगा. यह दोनों क्लेम आप वर्कमैन कम्पनसेशन एक्ट और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पाने के हकदार हैं. यदि ट्रांसपोर्ट कंपनी की लापरवाही है, तो आप मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपने जिला की अदालत में केस कर सकते हैं.
बोकारो से अमित ने पूछा ये सवाल
बोकारो से अमित कुमार का सवाल : एक साल पहले एक व्यक्ति ने यूनिसेफ में नौकरी दिलाने के नाम पर मुझसे यूपीआइ के जरिए एक लाख रुपये लिए थे. लेकिन आजतक न नौकरी मिली और न ही पैसे लौटाये. पुलिस भी शिकायत नहीं दर्ज कर रही है. अब मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : यह स्पष्ट धोखाधड़ी और अविश्वासजनक आचरण का मामला है. यदि पुलिस शिकायत नहीं ले रही है, तो आप न्यायालय में सीपी दायर करें. कोर्ट में आवेदन देकर न्यायिक निर्देश से एफआइआर दर्ज करवा सकते हैं. आप सबूत के तौर पर यूपीआइ ट्रांजैक्शन आदि संलग्न करने होंगे. यह ट्रांजैक्शन का डिजिटल प्रमाण है, जो इस केस को मजबूत बना रहा है.
गिरिडीह से सुशीला का सवाल : मेरे पति की पिछले साल एक हादसे में मृत्यु हो गयी थी. अभी मेरी दो साल की एक बेटी है. ससुराल में मेरे ससुर की अर्जित संपत्ति है, लेकिन वे अपनी संपत्ति में मेरी बेटी को हिस्सा नहीं देना चाहते. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : कानूनन, आपके ससुर की अर्जित (स्वअर्जित) संपत्ति पर आपकी बेटी का कोई अधिकार नहीं है, जब तक आपके ससुर स्वयं उसे अपनी वसीयत में शामिल न करें या बिना वसीयत के उनकी मृत्यु न हो. ऐसी स्थिति में ही आपकी बेटी को उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत पिता के स्थान पर कानूनी हकदार माना जायेगा.
बोकारो से जितेन्द्र प्रजापति का सवाल : मैंने सरकारी बैंक से मुद्रा लोन लिया था. इसे समय पर चुका दिया है. मेरे पास सभी भुगतान के साक्ष्य हैं, फिर भी बैंक ने लोन को एनपीए घोषित कर रखा है. शिकायत करने पर भी स्थिति नहीं बदली. मुझे अब कौन सा कानूनी कदम उठाना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आप पहले बैंक से आरटीआइ के माध्यम से लोन स्टेटमेंट और एनपीए डिक्लेरेशन का रिकॉर्ड मांग लें. इसके बाद बैंक की लापरवाही के कारण आपकी क्रेडिट रेटिंग (सिविल स्कोर) और अन्य वित्तीय गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, तो आप मुआवजे की मांग के साथ उपभोक्ता फोरम में केस कर सकते हैं.
पीरटांड़ से सुनील साव का सवाल : मेरी दो एकड़ खतियानी जमीन पर एक व्यक्ति दावा कर रहा है, इसलिए मैंने अदालत से निषेधाज्ञा ले लिया है. लेकिन अब सीओ कार्यालय से मुझे जमीन से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. मुझे क्या करना चाहिए?
अधिवक्ता की सलाह : आपने जमीन पर निषेधाज्ञा लगवा कर बेहतर किया है. लेकिन जब सीओ कार्यालय कोई सहायता नहीं मिल रही है, तो आरटीआइ लगाकर उनसे अपने आवेदन के संबंध में जानकारी मांगे. साथ ही खतियान, रजिस्टर-दो की प्रति, म्यूटेशन विवरण, दावेदार पक्ष के नाम दर्ज होने का आधार जमीन की वर्तमान स्थिति व रिकॉर्ड की मांग करें.
इन्होंने भी पूछा सवाल : बाघमारा से साधु शरण केसरी, गिरिडीह से जगत नारायण साव.
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