धनबाद-पेशाब में जलन होना, यूरिन के वक्त प्रेशर कम आना, ब्लाडर में इंफेक्शन आदि प्रोस्टेट ग्लैंड होने के संकेत हैं. ये लक्षण दिखे, तो तुरंत यूरोलॉजिस्ट चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. बीमारी को बड़ा होने नहीं दें. प्रोस्टेट ग्लैंड से संबंधित बीमारी से बचाव के लिए हर दिन दो से तीन लीटर पानी पीयें, नींबू का सेवन अवश्य करें. संभव हो तो हर दिन नारियल पानी पीयें, इससे पेट के साथ पेशाब संबंधित बीमारियां दूर रहती हैं. यह कहना है यूरोलॉजिसट डॉ गौरव प्रकाश का. वह शुक्रवार को प्रभात खबर के ऑनलाइन मेडिकल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि आम तौर पर 50 की उम्र व इसके बाद प्रोस्टेट ग्लैंड होने की संभावना अधिक रहती है, लेकिन आज के दौर में गलत खान-पान के कारण युवा भी तेजी के साथ इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं भी तेजी से यूरिन इंफेक्शन की चपेट में आ रही हैं.
यूरिन की समस्या से संबंधित सबसे अधिक सवाल
प्रभात खबर के ऑनलाइन मेडिकल काउंसेलिंग में शुक्रवार को यूरोलॉजिस्ट डॉ गौरव प्रकाश ने कहा कि कामकाजी महिलाओं में सबसे ज्यादा यूरिन इंफेक्शन के मामले सामने आते हैं. इसकी मुख्य वजह बाहर में शौचालय का इस्तेमाल है. शौचालयों के सही तरीके से सफाई नहीं हाेने के कारण महिलाओं में यूरिन इंफेक्शन होता है. यह देखा जा रहा है कि कामकाजी महिलाएं पानी भी कम पीती हैं. यह भी यूरिन इंफेक्शन का कारण बनता है. ऑनलाइन मेडिकल काउंसेलिंग में अधिकांश लोगों ने पेशाब में जलन व प्रेशर कम आने संबंधित सवाल पूछे.
प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या है क्या करें?
सिजुआ कतरास से सुखविंदर ने पूछा : प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या पहले से है. छह माह से दवा ले रहे हैं, क्या आगे भी दवा लेनी होगी?
चिकित्सक : प्रोस्टेट ग्लैंड गंभीर बीमारी है. इससे यूरिन पास रुक भी सकता है. दवा लेने से अगर कोई परेशानी नहीं है, तो इसका सेवन बंद नहीं करना चाहिए. एक बार फिर से यूएसजी करायें. इससे प्रोस्टेट ग्लैंड की स्थिति का पता आसानी से लगाना संभव होगा. चिकित्सक की राय के बाद ही दवा खाना बंद करें.
गिरिडीह के राजधनवार से संजय कुमार ने पूछा : दो माह से पेशाब करते वक्त जलन महसूस होती है?
चिकित्सक : प्रोस्टेट ग्लैंड का यह लक्षण हो सकता है. बीमारी का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड करायें. रिपोर्ट लेकर किसी यूरोलॉजिस्ट चिकित्सक से संपर्क करें. शुरुआती दौर में बीमारी का पता चलने से दवा से कंट्रोल किया जा सकता है.
फैटी लीवर की समस्या है क्या करें?
गिरिडीह के राजधनवार से धर्मेंद्र राणा ने पूछा : पहले से फैटी लीवर की समस्या है. कुछ दिनों से किडनी वाली जगह पर चुभन का अहसास हो रहा हैं?
चिकित्सक : फैटी लीवर की समस्या के लिए गैस्ट्रोलॉजी के चिकित्सक से परामर्श लें. किडनी के साइड चुभन के कई कारण हो सकते हैं. बीमारी का पता लगाना जरूरी हैं. इसके लिए अल्ट्रासाउंड करायें. इसके बाद नजदीकी चिकित्सक से परामर्श लें. बीमारी की सटीक जानकारी होने पर ही इलाज संभव हैं. हालांकि, कोशिश करें कि ज्यादा देर एक जगह बैठकर काम नहीं करें. कभी-कभी गैस की समस्या होने पर भी किडनी की तरफ चुभन का अहसास होता है.
डिगवाडीह से सुरेश अग्रवाल ने पूछा : 40 वर्षों से पिता को प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या है, कैथेटर लगा हुआ है. लंबे समय से एक दवा खा रहे हैं, क्या उसे कंटिन्यू करें या नहीं?
चिकित्सक : वर्तमान में प्रोस्टेट ग्लैंड की स्थिति का पता लगाना जरूरी हैं. इसके लिए अल्ट्रासाउंड कराना होगा. स्थिति का पता लगाने के बाद यूरोलॉजिस्ट चिकित्सक की सलाह लें. चिकित्सक के कहें अनुसार दवा का सेवन करना उचित होगा.
पेशाब की समस्या से हैं परेशान
बेकारबांध से शंकर चौरसिया ने पूछा : हर आधे घंटे में पेशाब लगता है. रात के वक्त समस्या ज्यादा बढ़ जाती है?
चिकित्सक : रात के वक्त समस्या अगर बढ़ जाती है, तो डिनर के समय में बदलाव करें. प्रयास करें कि रात का भोजन शाम सात से साढ़े सात के बीच कर लें. शाम की चाय पूरी तरह बंद कर दें. ऐसा करने से बार-बार पेशाब आने की शिकायत को कम किया जा सकता है. रात में ल्क्विड का सेवन भी कम से कम करें.
मुनीडीह से गोलक बिहारी महतो ने पूछा : हर एक घंटा में पेशाब लगता है, फ्लो भी कम है?
चिकित्सक : समस्या प्रोस्टेट ग्लैंड के लक्षण की ओर इशारा कर रहा है. बीमारी का सही तरह पता लगाने के लिए यूरिन मापना जरूरी है. एक दिन में लगभग दो लीटर पानी पियें. इसके बाद पेशाब होने पर मापी करें कि कितना यूरिन पास हो रहा है. अगर ग्लास भर जा रहा है, तो सब ठीक है. कम पेशाब होने पर यूरोलॉजिस्ट चिकित्सक से परामर्श लें.
गिरिडीह जमुआ से नंदलाल यादव ने पूछा : पेशाब में कंट्रोल नहीं है, कई बार पेशाब लगने पर निकलने लगता हैं?
चिकित्सक : सबसे पहले यूरिन के प्रेशर की जांच करनी होगी. इसके लिए देखना होगा कि पेशाब करते वक्त फ्लो कितनी दूर तक जाता है. इसके बाद ब्लाडर की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड करानी होगी. इससे इंफेक्शन समेत अन्य बीमारी का पता लगाने में आसानी होगी. अपने नजदीकी यूरोलॉजिस्ट चिकित्सक से संपर्क करें.
यूरोलॉजिस्ट से करें संपर्क
हीरापुर से हेमंत वर्मा ने पूछा : प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या है, एक साल से दवा खा रहे हैं, लेकिन पेशाब का फ्लो कम है?
चिकित्सक : यूरिन फ्लो की गति कम होने का पता लगाना आवश्यक है. इसके लिए यूरोफ्लोमेट्री व पीवीसी टेस्ट कराना होगा. रिपोर्ट लेकर यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें. रिपोर्ट के आधार पर कुछ दवा का सेवन करने से समस्या से समाधान मिल जायेगा.
कतरास से खुर्शीद अंसारी का पूछा : पेशाब करते वक्त जलन होता है. कभी-कभी यूरिन खुद ब खुद डिस्चार्ज हो जाता है. इससे चिपचिपा पदार्थ निकलता है?
चिकित्सक : बीमारी का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करवाना होगा. इसके लिए यूरोलॉजिस्ट चिकित्सक से परामर्श करें. कुछ बीमारियां बचपन के कुछ आदतों की वजह से भी हो सकती है. बीमारी का पता लगाने के बाद कुछ दवाओं का सेवन करने से यह पूरी तरह ठीक हो सकती है. जबतक बीमारी का इलाज पूरा होने तक ननवेज से परहेज करें.
पेशाब पर नहीं रहता कंट्रोल
धनबाद से राजेंद्र प्रसाद तुलस्यान ने पूछा : पानी पीने के कुछ देर में पेशाब लग जाता है, इसमें कंट्रोल भी नहीं रहता?
चिकित्सक : यह प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने का संकेत है. प्रोस्टेट ग्लैंड के साइज का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड व कुछ जांच कराने होंगे. बीमारी का पता लगाने के बाद दवाओं के जरिए इसपर कंट्रोल किया जा सकता है.
ऑनलाइन मेडिकल काउंसिलिंग में इन्होंने भी पूछे सवाल : बोकारो से लालमणि महतो, घनश्याम सिंह, टुंडी से फिरोज आलम, कतरास से दिनेश कुमार बरनवाल, बाघमारा से अनुज राम, गोविंदपुर से नीलम देवी.
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