डॉ एके सिंह
हर साल एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाते हुए, हम पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र रॉय की स्मृति में उनके अद्वितीय योगदान को याद करते हैं. यह दिन चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में उनके योगदानों का सम्मान करने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा में नयी प्रगति को भी दर्शाता है. आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह के अनुसार आज के समय में, चिकित्सा पेशा नयी तकनीक, करुणा और नवाचार के चौराहे पर खड़ा है, लेकिन इसके साथ ही यह कई चुनौतियों से भी जूझ रहा है.चिकित्सक व मरीजों के बीच सम्मान का बंधन :
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर हमें यह याद रखना चाहिए कि चिकित्सकों और मरीजों के बीच का संबंध केवल एक पेशेवर संबंध नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदारी और सम्मान का बंधन है. हमें मिलकर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना चाहिए, जहां चिकित्सा पेशेवरों को सुरक्षा मिले और मरीजों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्राप्त हो. यह समय है कि हम एक स्वस्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं, जहां हर व्यक्ति की भलाई का ध्यान रखा जाये. प्रौद्योगिकी से बदलती स्वास्थ्य सेवा : आधुनिक चिकित्सा में प्रौद्योगिकी का योगदान अति महत्वपूर्ण है. एआइ सहायता प्राप्त निदान, रोबोटिक सर्जरी, और टेलीमेडिसिन जैसे नयी विधियां मरीजों के इलाज को पहले से अधिक तेज, सटीक और सुलभ बना रही हैं. अब हम बेहतर और तेज सेवा प्रदान कर सकते हैं.चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा :
हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति के साथ ही चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मी अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करते हैं, फिर भी उन्हें ड्यूटी के दौरान धमकियों और शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ता है. हमें समझना होगा कि स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि मरीजों की.मरीजों और परिजनों के साथ दुर्व्यवहार एक गंभीर मुद्दा :
डॉक्टरों द्वारा मरीजों और उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार करना भी एक गंभीर समस्या बन गयी है. यह व्यवहार न केवल मरीजों के साथ विश्वास को समाप्त करता है, बल्कि चिकित्सा पेशे की प्रतिष्ठा पर भी बुरा प्रभाव डालता है. चिकित्सक और मरीज के बीच भरोसा, स्वस्थ समाज की नींव है.ऐसे कर सकते हैं समस्या का समाधान :
चिकित्सा पेशेवरों को चाहिए कि वे सहानुभूति दिखाएं और मरीजों के साथ संवेदनशीलता से संवाद करें. स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए, उन्हें मरीजों को पर्याप्त समय देना चाहिए, ताकि वे सम्मानित महसूस करें. दूसरी ओर मरीजों को भी धैर्य रखना चाहिए और चिकित्सकों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए. अस्पतालों में व्यवस्था बनाए रखने और संयम से पेश आना बेहद जरूरी है. लेखक आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है