Dhanbad News: वरीय संवाददाता, धनबाद. निजी स्कूलों की मनमानी और री-एडमिशन के नाम पर पैसा वसूलने का मामला मंगलवार को विधानसभा में जोर-शोर से उठा. सोमवार को झरिया विधायक रागिनी सिंह ने यह मुद्दा सदन में उठाया था. विपक्ष निजी स्कूलों के लिए कानून बनाने की मांग कर रहा है. इधर, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का कहना है कि निजी स्कूलों पर निगरानी के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी है. जिला समिति की अनुशंसा आयेगी, तो सरकार कानून बनायेगी. शिक्षा मंत्री के बयान की पड़ताल प्रभात खबर ने की. पता चला कि धनबाद में अप्रैल 2022 में तत्कालीन डीसी संदीप सिंह की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था. इसका तीन वर्ष का कार्यकाल बिना एक भी बैठक के अप्रैल में समाप्त हो रहा है.
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के दावों की पड़ताल करने पर पता चला कि धनबाद में जिला स्तरीय कमेटी सिर्फ नाम की है. कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त हैं. पदेन सदस्यों में डीइओ, डीएसइ, धनबाद और गिरिडीह के सांसद या उनके प्रतिनिधि, जिले के सभी छह विधायक या उनके प्रतिनिधि शामिल हैं. वहीं उपायुक्त द्वारा पांच नामित सदस्यों में दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्राचार्या डॉ सरिता सिन्हा, राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य सुमंत मिश्रा, दो अभिभावक प्रतिनिधियों में मनोज शर्मा, किड्स गार्डन झरिया और संतोष सिंह, डीएवी कोयला नगर तथा एक चार्टर्ड अकाउंटेंट अजय कुमार शामिल हैं. आज तक कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई. इसका गठन झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के प्रावधानों के तहत किया गया था. कमेटी का कार्य जिले में पब्लिक स्कूलों द्वारा लिये जाने वाले नामांकन शुल्क, ट्यूशन फीस, वार्षिक शुल्क या री-एडमिशन शुल्क को नियंत्रित करना है. कमेटी का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है. यदि कोई स्कूल अपनी फीस में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि करता है, तो उसे इस कमेटी से अनुमति लेनी होगी. कमेटी को स्कूलों की जांच के बाद ही फीस वृद्धि पर निर्णय लेना होता है. इसके अलावा, यदि कोई स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाता है, तो अभिभावक इस कमेटी से शिकायत कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में कमेटी के सभी सदस्य बैठक कर सामूहिक निर्णय लेते हैं.बोले डीएसइ :
जिला शिक्षा अधीक्षक आयुष कुमार ने कहा कि जिला स्तरीय फीस कमेटी उन्हीं मामलों में हस्तक्षेप करती है, जहां स्कूलों द्वारा 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि की जाती है. अभी तक ऐसे मामले सामने नहीं आये हैं.रणविजय सिंह(पूर्व सांसद पीएन सिंह के प्रतिनिधि) :
मैं इस कमेटी में पिछले वर्ष मार्च तक सदस्य था. अब नहीं हूं. जहां तक याद है, गठन के समय ही एकमात्र बैठक हुई थी, जिसमें नामित सदस्यों का चयन किया गया था. फीस के मुद्दे पर कोई बैठक नहीं हुई. हालांकि, आरटीइ मान्यता को लेकर कई बैठकें हुईं.डॉ सरिता सिन्हा(प्राचार्या, दिल्ली पब्लिक स्कूल) :
जब मुझे जिला स्तरीय कमेटी का सदस्य बनाया गया था, तब एक पत्र मिला था. यदि कोई बैठक हुई होगी, तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है, क्योंकि मुझे कभी बैठक में बुलाया ही नहीं गया.सुमंत मिश्रा ( प्राचार्य, राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर )
मुझे मीडिया से पता चला कि मैं जिला स्तरीय फीस कमेटी का सदस्य बनाया गया हूं. इस संबंध में मुझे कभी विभाग की ओर से कोई पत्र नहीं मिला. बैठकों के संबंध में कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि मुझे कभी बुलाया ही नहीं गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है