Dhanbad News:
शोभित रंजन, धनबाद.
धनबाद के पंडित क्लिनिक रोड स्थित मध्य विद्यालय बरटांड़ की स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही है. विद्यालय में न पर्याप्त शिक्षक हैं, न ही सुरक्षित भवन. बारिश में छत से पानी टपकता है, दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है और बच्चों की पढ़ाई महज तीन कमरों में सिमट कर रह गयी है. सात में से केवल दो शिक्षक व एक हेडमास्टर के भरोसे विद्यालय का संचालन हो रहा है. किचन की हालत भी बेहाल है, जिससे मिड-डे मील योजना प्रभावित होती है. मजबूरन कमरे के बाहर मध्याह्न भोजन बनाया जाता है. स्कूल के संरक्षक वकील दास कहते हैं कि यह स्कूल उपेक्षा का शिकार है और किसी अधिकारी की नजर इस पर नहीं है.जर्जर हो गया है भवन का दूसरा तल्ला
विद्यालय भवन का दूसरा तल्ला पूरी तरह खतरनाक हो चुका है. छत की प्लास्टर गिर रहा है. दीवारों में दरारें पड़ गयी हैं. फर्श भी कमजोर हो चुका है. इस कारण वहां कोई कक्षा का संचालन नहीं हो रहा है. शिक्षकों और छात्रों को हर समय दुर्घटना का डर बना रहता है. इसलिए उस हिस्से को बंद कर दिया गया है. मगर अब तक किसी तरह की मरम्मत या पुनर्निर्माण की कोई पहल नहीं हुई है. यह हालत न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई बाधित कर रही है, बल्कि उनके जीवन को भी खतरे में डाल रही है. ऊपर के तल्ले की सीढ़ियों पर पानी व काई का कब्जा हो चुका है.
शिक्षकों की कमी से प्रभावित हो रही है बच्चों की पढ़ाई
विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. विद्यालय में कुल सात शिक्षकों के पद स्वीकृत है, लेकिन केवल दो शिक्षक और एक हेडमास्टर कार्यरत हैं. इतने कम स्टाफ के बल पर कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई सुचारू रूप से चल पाना असंभव है. शिक्षकों की भारी कमी के कारण छात्रों को पर्याप्त समय और मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है. इससे न केवल छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है बल्कि उनका शैक्षणिक विकास भी ठप पड़ गया है.
विद्यालय में नौ कमरे हैं, पर तीन में ही चलती हैं कक्षाएं
विद्यालय भवन में कुल नौ कमरे हैं, लेकिन इनमें से छह कमरे इतने जर्जर हो चुके हैं कि उसका उपयोग असंभव हो गया है. छत से पानी टपकता है. दीवारें सीलन से कमजोर हो चुकी हैं और फर्श उखड़ चुका है. केवल तीन कमरों में ही कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, जिससे व्यवस्था पूरी तरह गड़बड़ा गयी है. इसके साथ ही, एक कमरे में तीन-तीन कक्षाओं के छात्र एक साथ पढ़ते हैं, जिससे पढ़ाई का माहौल प्रभावित होता है.
मिड-डे मील बनाने में होती है परेशानी
विद्यालय में संचालित मिड-डे मील योजना भी बदहाली की शिकार है. रसोईघर की छत पूरी तरह टूट चुकी है और उसमें लगातार पानी टपकता है. बरसात के दिनों में स्थिति और भयावह हो जाती है, जब खाना बनाना लगभग असंभव हो जाता है. इस कारण बच्चों को भोजन नहीं मिलता है या फिर बहुत ही दिक्कतों के साथ खाना तैयार किया जाता है. बच्चों को पौष्टिक और गर्म भोजन मिलना जरूरी है, लेकिन यहां बुनियादी ढांचा ही जवाब दे गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है