आइआइटी आइएसएम न केवल खनन विज्ञान शिक्षा का केंद्र रहा है, बल्कि देश के सर्वोच्च नेताओं की उपस्थिति से इसका गौरव लगातार बढ़ता रहा है. अब जब संस्थान सौवें वर्ष की दहलीज पर खड़ा है, यह दीक्षांत समारोह इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बनने जा रहा है. एक अगस्त को होने वाले 45वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगी. इस संस्थान में राष्ट्रपति के आने की यह गौरवशाली परंपरा रही है. वर्तमान राष्ट्रपति के आने से यह परंपरा एक बार फिर जीवंत होने जा रही है. महामहिम द्रोपदी मुर्मू तीसरी राष्ट्रपति होंगी, जो इस संस्थान के दीक्षांत समारोह में शामिल हो रहीं हैं. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद इकलौते राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने दो बार इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (अब आइआइटी आइएसएम) के दौरे पर आये. वह पहली बार 1950 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ संस्थान का दौरा करने आये थे. यह दौरा स्वतंत्र भारत की वैज्ञानिक शिक्षा के विकास को समर्पित था. इसके तीन साल बाद 1953 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एक बार फिर आइएसएम आये और संस्थान की रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया. उनके इन दोनों दौरों ने संस्थान को एक नयी पहचान और प्रेरणा दी थी.
2014 में आये थे प्रणब मुखर्जी :
राजेंद्र बाबू के दौरे के 25 वर्षों बाद 1978 में तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी संस्थान के चौथे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे. नीलम संजीवा रेड्डी के इस दौरे के 36 वर्षों के बाद 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे. इसके 11 वर्षों बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू यहां आ रही हैं. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बनने से पहले 1998 में संस्थान के 20वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बने थे.
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