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क्षेत्र में एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं, इमरजेंसी में मरीजों इलाज के अभाव में जाती है जान

जरमुंडी प्रखंड में एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं, इमरजेंसी में मरीजों इलाज के अभाव में जाती है जान

प्रतिनिधि, बासुकिनाथ जरमुंडी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति पर प्रभात संवाद कार्यक्रम में लोगों ने गहरी चिंता व्यक्त की. जरमुंडी की पौने दो लाख की आबादी को मात्र 11 चिकित्सकों के सहारे इलाज मिल रहा है. बासुकिनाथ मंदिर होने के कारण यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन क्षेत्र की लचर चिकित्सा व्यवस्था लोगों को निजी अस्पतालों और चिकित्सकों के भरोसे छोड़ देती है. कोविड महामारी के दौरान जरमुंडी प्रखंड की भी स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत उजागर हो गयी. सीमित संसाधन, डॉक्टरों की भारी कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया. इसके बाद भी स्वास्थ्य सेवाएं लचर बनी हुई हैं. प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति पर रोगियों का इलाज होता है. विशेषज्ञ डॉक्टर और आपातकालीन सुविधाओं के अभाव में आपातकालीन व दुर्घटना की स्थिति में इलाज के अभाव में रोगियों की मौत हो जाती है. चिकित्सा सुविधाओं की ये दुर्दशा किसी भी आपात स्थिति में मरीजों को बेहतर इलाज से वंचित कर देती है. ऐसे में प्रभात संवाद कार्यक्रम के जरिये लोगों ने अपनी बातें रखीं और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवश्यक सुधार की मांग की. नहीं होती स्वास्थ्य समिति की बैठक, मरीज हो रहे परेशान सरकारी लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रखंड स्वास्थ्य समिति की बैठक तक नियमित रूप से नहीं होती. इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी प्रभावित होती है, बल्कि डॉक्टरों और स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी बाधा आती है. जरमुंडी में 27 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी तक नियुक्तियां नहीं हुई हैं. अगर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने जल्द ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति और चिकित्सा संसाधनों को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया, तो जरमुंडी की जनता को आने वाले समय में और भी गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है. जरूरत है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन तुरंत एक ठोस कदम उठाए, ताकि लोगों को समय पर और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें. पदस्थापित डॉक्टरों की संख्या – चार एमबीबीएस डॉक्टर – दो डेंटल सर्जन – तीन आयुष चिकित्सक – दो आरबीएसके डॉक्टर —— ग्रामीणों ने कहा: गंभीर बीमारियों के एक्सपर्ट डॉक्टर हों बहाल सीएचसी में किसी भी बीमारी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं. अगर यहां विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध होते, तो गंभीर बीमारियों के मरीजों को बेहतर चिकित्सा लाभ मिल सकता था. सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है. संजय कुमार सिन्हा, ग्रामीण प्रभात खबर द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सराहनीय है. बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिए सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए. इलाज के अभाव में यहां गरीबों की मौत हो जाती है. यहां ब्लड बैंक खुलना चाहिए. सुबोध मिश्रा, ग्रामीण बासुकिनाथ में सालभर लाखों श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं, लेकिन आकस्मिक स्थिति में डॉक्टर नहीं मिलते. ऐसे में रोगियों को इलाज के लिए बाहर ले जाना पड़ता है. प्रेमशंकर झा, मंदिर पुरोहित सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से बड़े-बड़े अस्पताल भवन बनवा दिए जाते हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं रहने के कारण रोगियों का सही इलाज नहीं हो पाता. स्वरूप सिन्हा, ग्रामीण डॉक्टरों की कमी के कारण लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. केवल भवन बने हुए हैं, लेकिन दुर्घटना की स्थिति में मरीजों को रेफर करना पड़ता है. संदीप पांडेय, युवा चिकित्सा व्यवस्था को लेकर यहां ट्रॉमा सेंटर की सख्त जरूरत है, ताकि दुर्घटना की स्थिति में मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके. बासुकिनाथ में सालभर लाखों श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है, इसलिए यहां अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं होनी चाहिए. अमित कुमार, ग्रामीण अस्पताल में योग्य डॉक्टरों की कमी के कारण सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लोगों को समुचित रूप से नहीं मिल पा रहा है. जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए. मुरारी मांझी, ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का सबसे अधिक असर गरीब मरीजों पर पड़ता है. आर्थिक अभाव के कारण वे प्राइवेट इलाज कराने में सक्षम नहीं होते, जिससे उनकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती है. बिंदी दास, ग्रामीण ——————————————————— प्रभात संवाद. कोविड के बाद क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था पर लोगों ने कहा 27 डॉक्टरों के पद स्वीकृत, 11 के भरोसे 1.75 लाख की आबादी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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