अनदेखी. लंबे अरसे से नहीं लगा ब्लड डोनेशन कैंप, रिप्लेसमेंट के भरोसे दुमका ब्लड बैंक
वॉलेंटियरी ब्लड डोनेट करनेवालों की तादाद बेहद कमसोशल एक्टिविस्ट की तलाश करते हैं जरूरतमंद मरीजआनंद जायसवाल, दुमका
पिछले कई महीनों से वृहद स्तर पर रक्तदान शिविर आयोजित न होने से दुमका के ब्लड बैंक में रक्त की उपलब्धता बेहद कम हो गयी है. दरअसल दुमका में वॉलेंटियरी ब्लड डोनेट करनेवालों की तादाद बेहद कम है. यानी ऐसे लोग, जो खुद ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान करते हैं या किसी शिविर में आकर रक्तदान करते हैं. ब्लड बैंक का स्टोरेज अक्सर खाली रहने की ही वजह से दुमका में खून की आवश्यकता पड़ने पर वाट्सऐप ग्रुप व इस दिशा में काम करनेवाले सोशल एक्टिविस्ट ही अहम भूमिका निभाते हैं, जिनके आग्रह पर हर जरूरतमंद के लिए वे डोनर ढूंढ निकालते हैं. अक्सर परेशानी मैच करनेवाले ब्लड ग्रुप के डोनर को खोजने में होती है. सड़क हादसे में किसी के घायल होने पर, एनीमिया से पीड़ित रोगी को, प्रसव के दौरान गर्भवती महिला को, थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को या कैंसर रोगियों के लिए रक्त की जरूरत पड़ती रही है. जिले में सरकारी स्तर पर रक्त की जरूरत को पूरी करनेवाला एक ही ब्लड बैंक है, जो सदर अस्पताल के नाम पर निबंधित है. समाहरणालय के ठीक बगल में संचालित है.हाल में नहीं लग पाये हैं बड़े डोनेशन कैंप
दुमका जिले में पहले एसएसबी के अलावा दुमका पुलिस बल के द्वारा जहां बड़े-बड़े कैंप आयोजित किये जाते थे, वहीं भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी, मारवाड़ी युवा मंच, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना यानी एनएसएस, लायंस क्लब, चैंबर ऑफ कामर्स, लायंस क्लब नोनीहाट और गायत्री परिवार जैसी संस्थाएं-संगठन भी बड़े कैंप साल में एक-दो बार आयोजित कर लिया करते थे. एसएसबी की 35वीं बटालियन नक्सलवाद का खात्मा करने के बाद यहां से दूसरी जगह जा चुकी है. एसएसबी के जवान ही थैलीसीमिया मरीज के लिए रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित करा देते थे. जिले में अभी भी थैलीसिमिया के 50 से अधिक मरीज हैं, जिनके लिए बिना रिप्लसेमेंट के खून की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होती है.डोनेशन में पुरुष की तुलना में महिलाएं काफी पीछे
दुमका जिले में महिलाओं में रक्तदान को लेकर जागरुकता की बेहद कमी है. इस जिले में बड़ी संख्या में महिलाओं में एनीमिया के लक्षण दिखते हैं और जांच के दौरान उनके शरीर में खून की कमी मिलती है. ऐसे में प्रसव या अन्य ऑपरेशन के दौरान अक्सर खून की जरूरत ऐसी महिलाओं के लिए पड़ती है. दुमका में जितना वोलेंटियरी ब्लड डोनेशन या रिप्लेसमेंट में ब्लड डोनेशन होता है, उसमें महिलाएं आगे नहीं आ पाती. दुमका में ब्लड डोनेशन के मामले में महिलाओं का प्रतिशत दो से तीन फीसदी ही है.आंकड़ों का सच
माह-टोटल-वोलेंटियरी-रिप्लेसमेंट-महिला-पुरुषजनवरी 2024-337-57-280-03-280
फरवरी 2024-323-26-297-03-320मार्च 2024-397-48-349-25-349
अप्रैल2024-520-177-343-11-504मई 2024-545-12-427-09-536
जून 2024-443-60-383-12-431जुलाई 2024-423-12-411-02-421
अगस्त 2024-372-17-355-04-368सितंबर 2024-440-89-351-16-324
अक्तूबर 2024-362-26-336-03-359नवंबर 2024-372-51-321-01-371
दिसंबर 2024-361-42-319-02-359जनवरी 2025-419-65-354-09-410
फरवरी 2025-303-15-288-02-301ब्लड सेपरेटर की आवश्यकता, केवल होल ब्लड ही उपलब्धदुमका ब्लड बैंक में ब्लड सैपरेटर नहीं है. इससे मरीज को होल ब्लड ही देना पड़ता है. ब्लड सैपरेटर की सुविधा रहने से एफएफपी,प्लेटलेटस,पीआरबीसी जैसे रक्त की सुविधा मिल पाती. यानी एक-एक बार रक्त लेने के बाद उसे चार अलग-अलग बीमारी में उपयोग किया जा सकता. ब्लड बैंक के रंग-रोगन समेत अन्य मूलभूत आवश्यकताओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है. लंबे अरसे से ब्लड बैंक का रंग-रोगन नहीं हुआ है.
==================क्या कहते हैं प्रभारी
दुमका में ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित करने को लेकर कई संस्थाओं से पत्राचार किया गया है. यहां ट्रॉमा के केस बहुत आते हैं. प्रेगनेंसी और थैलेसीमिया के भी मरीजों को रक्त की जरूरत होती है. नियमित ब्लड डोनेशन कैंप जरूरी है. रिप्लेसमेंट के जरिये यहां की ज्यादातर आवश्यकताएं पूरी होती है.डॉ अमित रंजन, ब्लड बैंक के प्रभारी
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है