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खंडहर में तब्दील स्कूल भवनों से हादसे डर

दीवारों से पानी रिसता है. कई जगह कमरों में पानी आ जाता है. ऐसे हालात में न तो बच्चों को पढ़ाई का सही माहौल मिल पा रहा है. न ही उनकी सुरक्षा की गारंटी रह गयी है.

जर्जर भवनों में रिस रहा पानी, गिर रहे छत के प्लास्टर

अब तक डिमोलिश करने की नहीं हुई है विभागीय पहल

अभिषेक, काठीकुंड

लगातार हो रही बारिश ने प्रखंड क्षेत्र के स्कूल भवनों की असलियत उजागर कर दी है, जहां एक ओर सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुरक्षित माहौल देने की बात करती है. वहीं हकीकत यह है कि कई विद्यालय जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं. बारिश के दिनों में भवनों की छतें टपकने लगती है. दीवारों से पानी रिसता है. कई जगह कमरों में पानी आ जाता है. ऐसे हालात में न तो बच्चों को पढ़ाई का सही माहौल मिल पा रहा है. न ही उनकी सुरक्षा की गारंटी रह गयी है. कई पुराने भवन पूरी तरह जर्जर होकर गिरने की कगार पर हैं, फिर भी उन्हें अब तक डिमोलिश नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते मरम्मत और निर्माण कार्य नहीं हुआ तो बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जायेगी. किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. लगातार बारिश ने साफ कर दिया है कि भवनों की मरम्मत और जर्जर भवनों को गिराकर नये भवनों के निर्माण की तत्काल आवश्यकता है. इस बाबत बीइइओ सुरेंद्र हेंब्रम ने कहा कि सभी जर्जर विद्यालयों की रिपोर्ट मांगी गयी है. पूर्णरूपेण जर्जर विद्यालयों को डिमोलिश करने का आदेश प्राप्त होने के बाद ही भवनों को ध्वस्त किया जा पायेगा.

उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय, बथानपहाड़ी

बड़तल्ला पंचायत के अधीन स्थित इस विद्यालय में मात्र 13 बच्चे नामांकित हैं. पढ़ाई के लिए सिर्फ एक शिक्षक हैं. विद्यालय का एक भवन पूरी तरह जर्जर है, जिसकी वजह से वहां कक्षाएं नहीं हो पा रही है. फिलहाल बच्चों को अन्य भवन में पढ़ाया जा रहा है. ग्रामीणों की मांग है कि जर्जर भवन की मरम्मत कर उसे उपयोग लायक बनाया जाये ताकि बच्चों को पर्याप्त जगह मिल सके.

उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय कदमा, मांझीटोला

यहां 61 छात्र और दो शिक्षक हैं. विद्यालय के पुराने भवन की बरामदे की छत से सरिया बाहर निकल आयी है, जो हादसे का कारण बन सकती है. इस भवन में कक्षाएं नहीं ली जातीं, बल्कि इसे केवल ऑफिस और मध्यान्ह भोजन रसोई के लिए इस्तेमाल किया जाता है. नया भवन भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, क्योंकि उसकी छत से भी लगातार पानी रिस रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय, मकड़ाचापड़

इस विद्यालय में 73 बच्चे और 2 शिक्षक हैं. बारिश में भवन से पानी रिसने के कारण कमरों में पानी आ जाता है. बच्चों को गीली जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. यहां का पुराना भवन, जिसमें एमडीएम बनाया जाता है, बेहद जर्जर हो चुका है. एक और पुराना भवन पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि जर्जर भवनों को तत्काल डिमोलिश कराना जरूरी है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय, कालाझर

यहां पहली से आठवीं कक्षा तक कुल 111 छात्र नामांकित हैं. वर्तमान में दो भवनों के चार कमरों में कक्षाएं ली जाती हैं, लेकिन इन भवनों की छत भी टपक रही है. विद्यालय का पुराना भवन खतरनाक हो चुका है. किसी भी समय गिर सकता है. पुराने भवन की तो छत टूट कर गिर रही है. हर रोज टूट रही है. इसी तरह यूपीएस हिरूडीह, यूपीएस भिलाईकांदर, यूपीएस पोखरिया, यूएमएस बरमसिया समेत कई अन्य विद्यालयों की स्थिति भी दयनीय है.

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