रामगढ़. पिछले कुछ दिनों से प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के बीच लंपी बीमारी के फैलने से पशुपालक परेशान हैं. गोवंशीय पशुओं के बीच लंपी महामारी की तरह फैल रही है. छोटी रण बहियार पंचायत के पंडुआ, छोटी रण बहियार, लौढ़िया, बड़ी रणबहियार पंचायत के नया टीकर, इटबंधा जैसे दर्जनों गांव के गोवंशीय पशु लंपी बीमारी से आक्रांत हैं. इन गांव में कई पशुओं की मौत लंपी से हो चुकी है. पशुपालकों के अनुसार लंपी की वजह से पहले पशुओं के पैर में सूजन हो जाती है. दर्द तथा सूजन के कारण पशुओं को चलने-फिरने में भी कठिनाई होने लगती है. इसके बाद मवेशी के शरीर में बड़े-बड़े फोड़े हो जाते हैं. खून निकलने लगता है तथा उन फोडों में कीड़े हो जाते हैं. इसके बाद पशुओं को बुखार होना शुरू हो जाता है. मवेशी के मुंह में घाव भी हो जाता है. इसके बाद मवेशी खाना पीना बंद कर देते हैं. समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण मवेशियों की मौत भी हो जाती है. पर्याप्त संख्या में पशु चिकित्सकों के न होने के कारण मवेशियों में फैली लंपी बीमारी की चिकित्सा के लिए पशुपालकों को झोलाछाप डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ती है. लंपी से पीड़ित पशु के उपचार के नाम पर झोलाछाप पशु चिकित्सक पशुपालकों का जमकर आर्थिक शोषण करते हैं. समय पर लंपी बीमारी की पहचान न होने एवं उचित इलाज न मिलने के कारण लंपी एक से दूसरे पशुओं में फैलने लगती है. पालतू पशुओं में फैली लंपी बीमारी के कारण किसानों को दोहरा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. पीड़ित पशुओं की चिकित्सा में हुए खर्च के बाद भी यदि पशु की मौत हो जाती है तो पशुपालकों का नुकसान कई गुना अधिक बढ़ जाता है. क्या कहते हैं पशु चिकित्सक रोकने के लिए विभाग द्वारा टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है. लंपी के फैलने की सूचना मिल रही है. लेकिन अब लंपी का इलाज संभव है. पशुओं की चिकित्सा के लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करें. प्रभावित पशुओं को एंटीबायोटिक दवा खिलायें. यदि घाव हो गया हो तो नीम के पत्ते को पानी में खौला कर उसी पानी से घाव को अच्छी तरह से धोएं. इसके बाद घाव पर महलम लगा दें. स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण भी करायें. डॉ सुजीत कुमार, पशु चिकित्सा पदाधिकारी
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