प्रतिनिधि, दुमका दिसोम मांझी थान में रविवार को बेनीलाल टुडू की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें संताल परगना के विभिन्न क्षेत्रों से सामाजिक संगठन के अगुवा और आतो मोड़ें होड़ समेत भारी संख्या में मरांग बुरू भक्त शामिल हुए. इसमें शामिल विभिन्न संगठन के अगुवा, बुद्धिजीवी और गांव के सम्मानित सदस्यों ने कहा कि दिसोम जाहेर थान में संताल आदिवासी समाज के लोग आदि काल से पूजा करते आये हैं. यहां तक कि दिसोम गुरु शिबू सोरेन ने भी संताल परगना में इसी दिसोम जाहेर थान से आशीर्वाद लेकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. धार्मिक स्थान को बचाने के लिए अब जैसी भी लड़ाई लड़नी पड़े. दिसोम मांझी थान जाहेर समिति तैयार है. धार्मिक स्थल पर किसी भी कीमत पर असामाजिक तत्वों का कब्जा नहीं होने दिया जायेगा. बताया कि दिसोम जाहेर को पूर्व विधायक मदन बेसरा जो आदिम जाति सेवा संघ के सचिव थे, उनके द्वारा संघ के सचिव के हैसियत से आवेदन देकर अनुमंडल पदाधिकारी से जमीन की मांग की गयी थी. जमीन की प्रकृति अनाबाद है, जिसे हम सरकारी जमीन भी कहते हैं. बताया गया कि मदन बेसरा के द्वारा आवेदन दिया गया था कि जमीन का उपयोग समाज के सांस्कृतिक उत्थान के लिए किया जायेगा. इस प्रकार से यह जमीन “आदिम जाति सेवा संघ ” को सांस्कृतिक उत्थान के उद्देश्य से प्रदान की गयी थी. आज स्व मदन बेसरा के वंशज रामगढ़ प्रखंड के कोनापाथर गांव के सुभाषिनी हांसदा, ब्रेनतियूस बेसरा, जोसेफ जयंत बेसरा और चमेली टुडू, जो पेशे से शिक्षक हैं. वे समाज को दिग्भ्रमित कर धार्मिक स्थान दिसोम जाहेर थान को हड़प कर निजी संपत्ति बनाना चाहते हैं. मौके पर सुरेशचंद्र सोरेन, डेना मरांडी, दुर्गा मरांडी, बाबला सोरेन, रामप्रसाद हांसदा, सीमांत हांसदा, शिव सोरेन, सनी बेसरा, शिवमंगल मुर्मू, ब्रजेंद्र सोरेन, सुशील मरांडी, सतीश सोरेन, एमेल मरांडी, रविलाल हांसदा, मुन्ना मरांडी, मोहन टुडू, लैंड मुर्मू, प्रेम हांसदा, श्यामल किस्कू आदि मौजूद थे.
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