गालूडीह. गालूडीह स्थित शहरी पंचायत महुलिया के ऊपरडांगा में विलुप्त होती आदिम जनजाति का इकलौता सबर परिवार बदहाली में जी रहा है. उसके संरक्षण में सरकार और प्रशासन फेल है. बारिश में सबर परिवार का कच्चा मकान ध्वस्त हो गया है. जमीन का कागज नहीं होने से उसे आवास योजना का लाभ नहीं मिला. ध्वस्त घर में प्लास्टिक टांग कर गुजारा कर रहा है. दरअसल, ऊपरडांगा में गोपाल सबर, उसकी पत्नी जोशना सबर और 10 वर्षीय बेटी शोमा सबर पिछले 14 साल से झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं.
चाकुलिया के जयपुर का रहने वाला है परिवार:
उक्त सबर परिवार मूल रूप से चाकुलिया प्रखंड के जयपुर निवासी है. गोपाल सबर गालूडीह में मजदूरी करता है. पूरा परिवार जयपुर छोड़कर गालूडीह के ऊपरडांगा में बस गया. झोपड़ी ध्वस्त होने से सबर परिवार चिंतित है. गोपाल सबर का छोटा भाई रवि सबर बगल में घर बनाकर रहता है. वर्तमान में गोपाल सबर अपने भाई के घर पर है. रवि सबर टाटा में मजदूरी करता है. जोशना सबर ने बताया कि जब घर गिरा, तब अपनी बेटी को स्कूल लेने गयी थी. घर में बंधे तीन बैल-बछिया बच गये.घर टूट गया, अब कहां रहेंगे : जोशना:
जोशना सबर ने बताया कि प्रति माह 35 किलो राशन मिलता है. आज तक आवास नहीं मिला है. कई बार पंचायत और ब्लॉक में आवेदन दिया. उसके पास आधार कार्ड है. जमीन का कागज नहीं होने से प्रशासन लौटा देता है. घर टूटने के बाद चिंता है कि कैसे रहेंगे?डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है