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East Singhbhum News : अतिवृष्टि का असर : पांच गांवों की 140 एकड़ में होगी अरहर की खेती

घाटशिला के बांधडीह व पहाड़पुर तथा धालभूमगढ़ के जूनबनी, डोभा और बिंहदा गांव शामिल

गालूडीह. पूर्वी सिंहभूम के दारीसाई स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने इसवर्ष अति वृष्टि को देखते हुए धान के साथ अरहर की वैकल्पिक खेती पर सार्थक पहल की है. कृषि वैज्ञानिकों ने घाटशिला के दो और धालभूमगढ़ के तीन गांवों को दलहन आदर्श ग्राम बनाया है. घाटशिला के बांधडीह और पहाड़पुर व धालभूमगढ़ प्रखंड के जूनबनी, डोभा और बिंहदा गांव शामिल हैं. पांच दलहन आदर्श ग्राम के कुल 140 किसानों को शनिवार को दारीसाई में बुलाकर अरहर की खेती का प्रशिक्षण दिया गया. सभी को अरहर के आइटी- 203 प्रजाति के 11 क्विंटल 40 किलो उन्नत बीज नि:शुल्क दिये गये. प्रत्येक किसानों को आठ-आठ किलो बीज मिले. सभी किसान एक-एक एकड़ में आठ किलो बीज से खेती करेंगे. पांच गांवों में 140 किसान 140 एकड़ में अरहर की खेती करेंगे. यह मील का पत्थर साबित होगा.

एक एकड़ में आठ क्विंटल उत्पादन होगा:

कृषि वैज्ञानिक डॉ आरएन मिश्रा, गोदरा मार्डी और विद्या कुशवाहा ने कहा कि अति वृष्टि को देखते हुए अरहर की वैकल्पिक खेती पर जोर दिया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिक गोदरा मार्डी ने बताया कि एक एकड़ में आठ किलो बीज से करीब आठ क्विंटल अरहर दाल का उत्पादन होगा. पांच गांवों को देखकर अन्य किसान भी अरहर की खेती पर जोर देंगे. अरहर की खेती कम पानी में ऊपरी जमीन में संभव है. किसान जो जमीन परती छोड़ देते हैं, वहां अरहर की खेती कर सकते हैं.

कृषि चौपाल में किसानों को कीट प्रबंधन की जानकारी मिली

दारीसाई स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में शनिवार को कृषि चौपाल आयोजित हुई. घाटशिला और धालभूमगढ़ प्रखंड के विभिन्न गांवों के किसान शामिल हुए. किसानों को कृषि से संबंधित डीडी लाइव दिखाया गया. कृषि वैज्ञानिक डॉ आरएन मिश्रा और गोदरा मार्डी ने बताया कि बरसात में खेती में कीट प्रबंधन की जानकारी दी गयी. फसलों को बचाव के तरीके बताये गये. किसानों के कृषि से जुड़े प्रश्नों का उत्तर वैज्ञानिकों ने दिये. अति वृष्टि को लेकर क्या करें, क्या ना करें आदि प्रश्नों के उत्तर किसानों को मिले.

किसानों को दिया गया तकनीकी प्रशिक्षण

बीज देने के बाद किसानों को खेती का प्रशिक्षण दिया गया. कृषि वैज्ञानिक डॉ आरएन मिश्रा, गोदरा मार्डी और विद्या कुशवाहा ने अरहर लगाने के तरीके, समय, कीट-रोग प्रबंधन के बारे में जानकारी दी. किसानों को बताया कि दाल की कीमत बाजार में अधिक है. अरहर उपजा कर बेचेंगे, तो धान से दो-तीन गुणा अधिक दाम मिलेगा. किसान अरहर की खेती करने को लेकर उत्साहित दिखे. महिला किसानों ने ज्यादा रुचि दिखायी है.

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