गालूडीह के उलदा स्थित माता वैष्णो देवी धाम मंदिर के तृतीय स्थापना दिवस पर नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथावाचक स्वामी हृदयानंद गिरि महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि निंदा या चुगली करना महापाप है. दूसरा व्यक्ति चाहे बुरा ही क्यों न हो हमें किसी की निंदा करने से पहले इस बात पर गौर कर लेना चाहिए कि उसके हृदय में भी भगवती का वास है. उन्होंने कहा कि कलियुग में मनुष्य खुद को संवार नहीं पाता और दूसरों के अवगुण उसे दिखाई देते रहते हैं. मनुष्य पहले खुद को संवारे और फिर दूसरों के अवगुण ढूंढे़. तब वह किसी को बुरा नहीं कह पाएगा. दूसरों को भी यही नसीहत देगा. मां भगवती की महिमा का गुणगान करना या सुनना भी सौभाग्य की बात होती है. जो अच्छे कर्म करता है उसी को माता के दरबार में हाजिरी मिलती है. तीसरे दिन भी भक्तों की भीड़ रही. शाम में महाआरती हुई, जिसमें कई लोग शामिल हुए.
साधु को अन्न देने वाला पाता है सुख-शांति का वरदान
स्वामी जी ने कहा कि हमें जहां भी साधु को आहार देने का मौका मिले, उसे गंवाना नहीं चाहिए. साधुओं को आहार देने वाला सदेव सुख और शांति को प्राप्त करता है. साधु संतों को दान देकर कभी भी पश्चाताप नहीं करना चाहिए. दान करने के बाद पछतावा करने से उनको धन की प्राप्ति तो होती है, लेकिन वह उस धन का इस्तेमाल नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि हमें दान देकर खुशी का अनुभव करना होगा. प्राचीनकाल से दान की संस्कृति रही है. शास्त्र हमें बताते हैं कि हमें आत्म-केंद्रीत जीवन नहीं जीना चाहिए. साधु को भोजन कराना एक पवित्र क्रिया है, जो कृष्ण को प्रसन्न करती है. हमारे परिवार में सद्भाव, समृद्धि और आशीर्वाद लाती है. जीवन में किये गये कार्यों का पुण्य अगले जन्म में भी हमारे साथ रहता है. साधुओं को भोजन कराने के लिए जरूर दान करें. अशुभ प्रभाव को कम करने और पुण्य कमाने का सबसे अच्छा तरीका है साधु-संतों को भोजन कराना. यह न केवल आपकी आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि आपको भगवान के आशीर्वाद का भी भागीदार बनाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है