डुमरिया.
सर्पदंश से मौत के बाद परिजनों द्वारा पोस्टमार्टम नहीं कराने से आपदा प्रबंधन से मिलने वाले चार लाख रुपये के मुआवजे से लोग वंचित हो रहे हैं. दरअसल, परिजन पोस्टमार्टम के लंबी प्रक्रिया के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते हैं. इन्हें सरकारी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है. सर्पदंश के शिकार अधिकतर लोग गरीब परिवार से होते हैं. डुमरिया के माड़ीतोलिया गांव स्थित धुमासाई टोला के सुनील कर्मकार के नवजात पुत्र राकेश कर्मकार (4 माह) की सर्पदंश से मौत हो गयी. क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण 108 एंबुलेंस या सीएचसी को सूचित नहीं कर सके. पहाड़ी दुर्गम रास्ता होने के कारण मोटरसाइकिल से रात को सीएचसी नहीं ला सके. उसे मंगलवार की सुबह मोटरसाइकिल से डुमरिया सीएचसी लेकर पहुंचे थे. डुमरिया सीएचसी में चिकित्सक डॉ पराब माझी ने मृत घोषित कर दिया. बच्चे के पोस्टमार्टम की पहल नहीं हुई. सीएचसी के वाहन से उसे माड़ोतोलिया भेज दिया गया. परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया. प्रभारी चिकित्सक डॉ शायबा सोरेन ने बताया कि मृत बच्चे के पिता शराबी है. उसने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया. इसलिए मृत बच्चे को वाहन से घर भेजवा दिया. हमलोग इससे ज्यादा क्या कर सकते हैं. घटना की सूचना डुमरिया थाना, प्रखंड विकास पदाधिकारी और पंचायत के मुखिया को नहीं दी गयी. मृतक के पिता को समझाकर बच्चे का पोस्टमार्टम कराया जा सकता था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है