गालूडीह.
मुहर्रम की आठवीं तारीख शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद गालूडीह जामा मस्जिद में जिक्र-ए-शहादत आयोजित हुआ. इसके बाद फातिहाखानी हुई. मुहर्रम से मुतालिक जिक्र-ए-शहादत पर तकरीर हुई. मौके पर डैग (खिचड़ा) की फातिया हुई. इस दौरान सभी के बीच तबरुक तक्सीम किया गया. मस्जिद के इमाम जियाउल हक और हाफिज रिजवान साहब द्वारा कुरान तिलावत के साथ जिक्र-ए-शहादत शुरू हुआ. इमाम और हाफिज ने तकरीर किया.इमाम हुसैन ने दिन-ए- इस्लाम बचाया
बताया गया कि कर्बला के मैदान में अपनी गर्दन काट इमाम हुसैन ने दिन-ए- इस्लाम बचाया. इनकी शहादत के कारण आज इस्लाम जिंदा है. हर कर्बला के बाद इस्लाम जिंदा होता है. इमाम और हाफिज ने कहा कि इमाम हुसैन ने सजदे में अपनी शहादत देकर इस्लाम बचाया. वे यजीद के अत्याचार, अहंकार और नौ लाख के लश्कर से नहीं डरें. उन्होंने सच्चाई और मुसल्लम इमान के साथ केवल 72 बहादुर फौजियों के साथ लड़ाई लड़ी व शहीद हो गये. इसके बाद दुआ मांगी गयी. मौके पर मस्जिदों और इमामबाड़ों में हुसैनी निशान भी लगाये गये. शनिवार को मुहर्रम की नौवीं तारीख है. रविवार को दसवीं तारीख के साथ मुहर्रम का समापन होगा. नौवीं के दिन लोग अपने घरों में फातिया करायेंगे. वहीं, दसवीं की शाम को घाटशिला अनुमंडल के कई जगहों के इमामबाड़े से मुहर्रम का अखाड़ा और ताजिया के साथ जुलूस निकाला जायेगा. मौके पर कमेटी के सदर अहमदूस सलाम, सचिव सलीम जावेद, कोषाध्यक्ष नाजिर खान, संयोजक साजिद अहमद, मो जुनैद, बबलू हुसैन, जुलू शेख, रमजान शेख, शेख अलाउदीन आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है