धालभूमगढ़. नरसिंहगढ़ कालिंदी बस्ती के राजाराम और काकुली कालिंदी का परिवार आज भी जर्जर दीनदयाल आवास में रहने को विवश है. परिवार के साथ राजाराम की विधवा मां भी एक ही कमरे में बेहद दयनीय हालात में रह रही हैं. करीब 15 साल पहले मिला यह आवास अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है और कभी भी ध्वस्त हो सकता है. राजाराम ने बताया कि बगल के घर की छत गिरने की घटना के बाद से उनका परिवार मौत के साए में जी रहा है. उनकी पत्नी काकुली ने बताया कि उन्होंने महिला समूह से कुछ पैसे उधार लेकर घर के बगल में टीन शेड डालकर एक अस्थायी जगह बनायी है, जो तीन ओर से खुली है. बरसात में वहां गंदगी और कीचड़ फैला रहता है, लेकिन बच्चों के साथ रहने के लिए उनके पास और कोई विकल्प नहीं है.
पुराना घर कभी भी गिर सकता है
काकुली ने बताया कि पुराने दीनदयाल आवास की छत पूरी तरह से कमजोर हो गयी है, जो कभी भी गिर सकती है. उन्होंने कहा कि अबुआ आवास की सूची में पहले उनका नाम शामिल था, और एक कर्मचारी ने जल्द निर्माण शुरू होने की बात कही थी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि सूची में नाम नहीं है. बारिश के दिनों में इस परिवार को सुरक्षित छत मिलना किसी सपने जैसा लगता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है