घाटशिला. गरीबों को पक्का आवास देने के लिए सरकार प्रधानमंत्री आवास, अबुआ आवास, आंबेडकर आवास, बिरसा आवास आदि योजनाएं चला रही हैं. इसके बावजूद घाटशिला शहर से सटी बस्तियों और मुहल्लों में सैकड़ों परिवार झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं. उन्हें पक्के मकान का इंतजार है. घाटशिला पंचायत अंतर्गत राजस्टेट की चालकडीह, बेहरा और कालिंदी बस्ती में अधिकतर लोग रिक्शा व ठेला चलाकर और दिहाड़ी मजदूरी कर जीविका चलाते हैं. यहां के लोग टूटी छतों, झोपड़ियों और प्लास्टिक की आड़ में रहने को विवश हैं.
आरोप : जिनके पास पक्का घर है, उन्हें मिल रहा आवास
मनसा बेहरा, मनीषा बेहरा, स्वाति बेहरा आदि लोगों ने बताया कि बस्ती में सैकड़ों परिवार झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे हैं. जिनके पास पहले से पक्का घर है, उन्हें आवास योजना का लाभ मिल रहा है. चुनाव के समय नेता और जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में सुधि नहीं लेते हैं. मनसा बेहरा ने बताया कि वह घर-घर जाकर शौचालय साफ कर अपने बच्चों का पालन कर रहा है. गरीबों को प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद सिर्फ आश्वासन मिलता है.जरूरतमंदों को योजना का लाभ देने की मांग :
राजस्टेट की चालकडीह, बेहरा और कालिंदी बस्ती में लोग अंग्रेजी शासन काल से बसे हैं. यहां लगभग 350 परिवार और दो हजार से अधिक की आबादी है. करीब एक हजार मतदाता वाले क्षेत्र में वर्षों से आवास योजना की अनदेखी की जा रही है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि बरसात से पहले झुग्गियों में रहने वाले जरूरतमंदों को प्राथमिकता के आधार पर आवास योजना का लाभ दिया जाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है