बोड़ाम.
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी गुरुवार को बोड़ाम पहुंचे. यहां के डाकबंगला में आदिम जनजातीय समुदाय के साथ सीधा संवाद किया. संवाद विशेष रूप से वन-धन विकास केंद्र के तहत शहद प्रोसेसिंग से जुड़ी महिलाओं व परिवारों की आजीविका की चुनौतियों पर केंद्रित रहा. इस दौरान उन्होंने आदिम जनजाति परिवारों से मिल रही सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी ली. उपायुक्त ने कहा कि शहद प्रोसेसिंग का काम कर रही महिलाओं से मिलना और उनकी गतिविधियों को नजदीक से समझना मेरे आने का मुख्य उद्देश्य था. हमें देखना है कि कैसे इनके प्रयासों को और बढ़ाया जा सके. इनके उत्पादों के लिए नये और स्थायी बाजार तलाशे जायें, ताकि इनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके. उन्होंने कहा कि बोड़ाम जैसे क्षेत्र में केवल शहद नहीं, बल्कि अन्य आजीविका आधारित कार्य भी हो रहे हैं. हरी-साग सब्जियों के लिए भी यह क्षेत्र काफी प्रसिद्ध है.जब कोई नया उत्पाद बनता है, तो शुरुआत में सबसे बड़ी चुनौती बाजार की होती है – उपायुक्त
जिला प्रशासन का यह प्रयास है कि इन कार्यों को संस्थागत रूप से गति दी जाए. हम यह भी देख रहे हैं कि योजनाओं के क्रियान्वयन में अगर कहीं कोई कमी है, तो उसे कैसे दूर किया जा सके. उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि जब कोई नया उत्पाद बनता है, तो शुरुआत में सबसे बड़ी चुनौती बाजार की होती है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि इन समुदायों द्वारा बनाए गए उत्पादों को अच्छे बाजार से कैसे जोड़ा जाये. उन्हें व्यापक पहचान दिलाई जाये. इस दिशा में उप विकास आयुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी और जेएसएलपीएस की टीम मिलकर लगातार काम कर रही है. उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आदिम जनजातीय समुदायों की पारंपरिक दक्षताओं और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार की जाये और उन्हें संसाधन, प्रशिक्षण व विपणन में भरपूर सहयोग दिया जाये. मौके पर डीडीसी अनिकेत सचान, एसडीओ शताब्दी मजूमदार, बीडीओ किकू महतो, सीओ रंजीत रंजन, सुजीत बारी आदि उपस्थित थे.
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