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East Singhbhum News : स्लैग के साये में दम तोड़ रहा प्रकृति का अमूल्य खजाना

गालूडीह का बड़ाबांध तालाब पर संकट, संरक्षण की दरकार, सरकारी उपेक्षा का शिकार 45 एकड़ का ऐतिहासिक तालाब, ग्रामीणों की बढ़ी चिंता

गालूडीह. गालूडीह के पाटमहुलिया मौजा में 45 एकड़ का सरकारी तालाब (एक हजार डोभा के समान) बड़ाबांध का अस्तित्व मिटता जा रहा है. तालाब के पास ही स्लैग डंपिग यार्ड के पहाड़ नुमा टीले और वर्षों से तालाब के जीर्णोद्धार नहीं होने से तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है. इसे बचाने की जरूरत है. यह घाटशिला प्रखंड का सबसे बड़ा सरकारी तालाब है. इस तालाब पर महुलिया, जोड़सा और उलदा पंचायत के 40 से अधिक गांव के ग्रामीण आश्रित हैं. जब गर्मी में सभी जलाशय सूख जाते हैं, तब बड़ाबांध सभी के लिए सहारा बनाता है. यहां लोग नहाने- कपड़े धोने, मवेशी को पानी पिलाने के साथ पाइप और मोटर लगाकर पटवन भी करते हैं. बावजूद विभाग इसी सुधि नहीं ले रहा.

45 एकड़ का तालाब कुछ हिस्सों में सिमटा

कहने को पूर्व डीसी हिमानी पांडेय, सांसद, विधायक इस तालाब का निरीक्षण कर चुके हैं. कई वायदे किये, पर जमीन पर अब तक कुछ हुआ नहीं है. स्थिति जस की तस है. 45 एकड़ तालाब अब कुछ हिस्सों में अब सिमट गया है. तालाब में कचरा भर गया है. पानी बीचोंबीच जमा है. बाकी हिस्सा मैदान बन चुका है. जहां मवेशी चरते हैं.

स्लैग डंपिंग से मर रहीं मछलियां

मालूम हो कि कुछ लोग इस तालाब के आस पास मिट्टी की खुदाई कर ले जाते हैं. इस तालाब को स्लैग प्रदूषण से बचाने को कई बार पंचायत प्रतिनिधियों ने विभाग को लिखित शिकायत की, पर कोई पहल तक नहीं हुई. स्लैग उड़कर तालाब के पानी गिरने से मछलियां मर जाती हैं. नहाने वाले लोग शिकायत करते हैं कि नहाने से खुजली होती है. बावजूद कोई जांच तक नहीं हुई.

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