मुसाबनी. सुरदा माइंस से सटे सोहदा पंचायत अंतर्गत दुर्गा बस्ती टोला के ग्रामीणों ने गुरुवार को माइंस प्रभावित क्षेत्र के युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देने की मांग को लेकर सड़क जाम कर दिया. उन्होंने अयस्क लदे हाइवा ट्रकों का परिचालन रोक दिया, जिससे माइंस संचालन प्रभावित हो गया. जाम की सूचना मिलते ही एचसीएल प्रबंधन और ठेका कंपनी आरके अर्थ रिसोर्स प्राइवेट लिमिटेड के पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों के साथ वार्ता की. वार्ता के बाद सड़क जाम हटाया गया और दोपहर करीब 3.30 बजे परिचालन बहाल हुआ.
नियुक्ति में स्थानीय युवाओं की उपेक्षा से नाराजगी:
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि दुर्गा बस्ती टोला माइंस से सटा हुआ और माइंस प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद यहां के युवाओं को रोजगार में उपेक्षित किया जा रहा है. उन्होंने मांग की कि सोहदा ग्रामसभा द्वारा सौंपी गयी बहाली सूची के आधार पर की जा रही नियुक्ति प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाये.प्रबंधन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन:
वार्ता के दौरान एचसीएल की ओर से वरीय प्रबंधक (एचआर) कमलेश कुमार, एचआर अधिकारी अर्जुन लोहारा, सुरदा माइंस के मैनेजर डीजे सोम, ठेका कंपनी के प्रोजेक्ट इंचार्ज संजय कुमार साहू, पृथ्वी कुमार आदि मौजूद थे. प्रबंधन ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि फिलहाल बहाली से संबंधित मेडिकल प्रक्रिया पर रोक लगायी जायेगी. साथ ही 26 जुलाई को सुरदा प्रशासनिक भवन में सोहदा राजस्व ग्राम प्रधान व विभिन्न टोला प्रधानों के साथ बैठक कर समाधान निकालने की बात कही गयी. ग्रामीणों की ओर से बेनासोल पंचायत की मुखिया सुकुरमनी हेंब्रम, फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत की मुखिया पोरमा बानरा, आदिम जनजाति कल्याण समिति की जिलाध्यक्ष रानी सबरीन, डिब्रू बानरा, गर्दी बानरा, मंगल बानरा, सोनू लोहार, सुनील मुर्मू सहित कई ग्रामीण वार्ता में उपस्थित थे.खान मंत्रालय के सचिव से मिले सांसद, बंद खदानें खोलने की मांग
नयी दिल्ली में खान मंत्रालय के सचिव बीएस कांता राव से सांसद विद्युत वरण महतो ने मिलकर मुसाबनी में बंद पड़ी धोबनी, किसनीगढ़िया और पाथरगोड़ा माइंस को शुरू करने के लिए मांगपत्र सौंपा. मांगपत्र में कहा कि एचसीएल की धोबनी, किशनीगढिया और पाथरगोड़ा माइंस लंबे समय से बंद हैं. खदानों में तांबे का अच्छा खासा भंडार है. क्षेत्र में कॉपर माइनिंग की असीम संभावनाएं हैं. यहां के खदानों में तांबे के साथ-साथ कई बहुमूल्य धातुएं भी मौजूद हैं. एडज्वाइनिंग लीज होने के कारण उक्त तीनों खदानों की लीज एचसीएल के नाम तत्कालीन रघुवर सरकार देने को तैयार थी. बंद पड़ी इन खदानों के खुलने से क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी और बेरोजगारी दूर होगी. मजदूरों का पलायन रुकेगा. देश में बढ़ती तांबे की मांग जो 2047 तक 6 गुना तक बढ़ने की संभावना है. इस क्षेत्र के खदानें देश की तांबे के उत्पादन में अपना योगदान करेगी. वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन टन प्रति वर्ष स्मेल्टिंग और डिफाइनिंग कॉपर उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने में खदानें सहायक साबित होगी. सांसद ने खान सचिव से बंद पड़ी खदानों का लीज एचसीएल के नाम पर करने के लिए झारखंड सरकार को निर्देशित करने का भी अनुरोध किया. उन्होंने एचसीएल को इन तीनों खदानों के लीज हासिल कर इसके संचालन की दिशा में आवश्यक पहल करने का भी निर्देश देने की बात खान सचिव से कही.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है