गुड़ाबांदा.
गुड़ाबांदा प्रखंड की आठ पंचायतों के 93 गांवों में करीब 60 हजार आबादी इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रही है. प्रखंड में पेयजल आपूर्ति के लिए गांवों में तीन तरह के फंड से जलमीनार बनायी गयी हैं. इनमें मुख्यमंत्री जल नल एसटी/एससी योजना से 138, डीएमएफटी फंड से 43 और पीवीटीजी फंड से 31 सोलर जलमीनार बनी हैं. प्रखंड में कुल 213 जलमीनार हैं. वहीं, 1365 चापाकल हैं. करोड़ों खर्च के बावजूद लोग पानी के लिए भटक रहे हैं. प्रखंड में जल-नल योजना के नाम पर सिर्फ राशि की बंदरबांट हुई है. ज्यादातर सोलर जलमीनार से पानी नहीं मिल रहा है. अधिकतर जलमीनार खराब है. लगभग 200 चापाकल खराब पड़े हैं. जलमीनारों में किसी का सोलर प्लेट टूटा है, तो कहीं लोहे का स्ट्रक्चर जंग लगने से टूट गया है. लकड़ी का सहारा देकर खड़ा रखा गया है.84 करोड़ की योजना का चल रहा ट्रायल
प्रखंड में 84 करोड़ रुपये की एक योजना है. इसके तहत हर घर में नल का कनेक्शन देना है. यह योजना का निर्माण जल जीवन मिशन के तहत होगा. वर्तमान में अंतिम चरण में टेस्ट ट्रायल चल रहा है, लेकिन कई गांवों में नल कनेक्शन नहीं पहुंचा है.प्रखंड की पंचायतों में कई जलमीनार खराब है. सैकड़ों चापाकल खराब हैं. पेयजल के लिए दूरदराज क्षेत्र में जाना पड़ रहा है.– सोमनाथ हांसदा, ग्रामीण
गर्मी आते ही कुआं सूखने लगे हैं. पानी की समस्या हो गयी है. प्रखंड में जलमीनारें बनीं, पर लोगों को पानी नहीं मिल रहा है.– गौर चंद्र पात्र, भाजपा नेता
जल-नल योजना के तहत जलमीनार बनी है, पर पानी नहीं मिल रहा है. पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है.
– राजीव कुमार महतो, ग्रामीण
प्रखंड में पानी की गंभीर समस्या है. खराब चापाकल व जलमीनारों की मरम्मत की दिशा में पहल करनी जरूरी है.– रतन लाल राउत, उप प्रमुखB
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