मुसाबनी.
एचसीएल की बंद पड़ी राखा कॉपर माइंस के संचालन के लिए जारी ग्लोबल टेंडर साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड ने हासिल कर लिया है. टेंडर प्राप्त करने के बाद कंपनी ने माइंस को दोबारा चालू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बंद पड़ी राखा कॉपर माइंस से पानी निकासी का कार्य डेल्टा कंपनी को दिया गया है. वहीं राखा चापड़ी माइंस में उपलब्ध अयस्क का भंडार एवं तांबे की ग्रेड का पता लगाने के साथ राखा व चापड़ी माइंस में 15- 15 लाख टन वार्षिक उत्पादन क्षमता की खदान को चालू करने की डीपीआर बनाने का काम ऑस्ट्रेलिया की एक कंसल्टेंसी को दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, जुलाई के अंत तक बंद पड़ी राखा माइंस से पानी निकासी का काम शुरू होगा. यह महीना राखा माइंस के लिए महत्वपूर्ण है. 7 जुलाई 2001 को एचसीएल ने राखा माइंस को बंद कर दिया था. इसमें कार्य करने वाले सभी 700 मजदूर को जबरन वीआरएस लेना पड़ा था. अब 24 वर्ष बाद जुलाई में राखा माइंस को चालू करने के लिए ठेका कंपनी द्वारा पानी निकासी का कार्य शुरू करने की योजना है.ढाई हजार करोड़ रुपये का होगा निवेश
बंद पड़ी राखा कॉपर खदान को फिर से चालू करने तथा प्रस्तावित चापड़ी खदान को विकसित कर इसके संचालन के साथ रुआम में मैचिंग कैपेसिटी का कंसंट्रेटर संयंत्र बनाने पर साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड करीब 2500 करोड़ का निवेश करेगी. राखा माइंस को फिर से चालू कर प्रतिवर्ष 15 लाख टन अयस्क उत्पादन क्षमता हासिल करना प्राथमिकता है. इसके साथ ही, चापड़ी माइंस में प्रतिवर्ष 15 लाख टन अयस्क उत्पादन क्षमता वाले माइंस का निर्माण किया जाना है. राखा और चापड़ी खदानों से उत्पादित अयस्क की पिसाई के लिए ठेका कंपनी कंसंट्रेटर संयंत्र का भी निर्माण करेगी. ऑस्ट्रेलिया के खनन विशेषज्ञों की एक टीम अगस्त-सितंबर माह में राखा और चापड़ी माइंस में अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन) कार्य शुरू कर सकती है. इसका उद्देश्य वहां उपलब्ध तांबे के भंडार का पता लगाना है. बंद पड़ी राखा माइंस के दोबारा चालू होने, प्रस्तावित चापड़ी माइंस और कंसंट्रेटर संयंत्र के संचालन से इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे. इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी बल मिलेगा. देश में बढ़ती तांबे की जरूरत को पूरा करने में राखा और चापड़ी की ताम्र खदानें अहम भूमिका निभायेंगी. इससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को एक नयी दिशा और गति मिलेगी.
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