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East Singhbhum News : पहाड़ी पगडंडी से बाइक व पैदल चलकर कोलाबाड़िया गांव पहुंचे डीसी, ग्रामीणों से संवाद कर जाना हाल

गुड़ाबांदा प्रखंड के सुदूर एवं दुर्गम फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत स्थित पहाड़ पर बसे कोलाबाड़िया गांव में गुरुवार को डीसी कर्ण सत्यार्थी पहुंचे.

गुड़ाबांदा.

गुड़ाबांदा प्रखंड के सुदूर एवं दुर्गम फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत स्थित पहाड़ पर बसे कोलाबाड़िया गांव में गुरुवार को डीसी कर्ण सत्यार्थी पहुंचे. इस गांव के 30 परिवार वनवास की तरह जिंदगी काट रहे हैं. गांव में सड़क के नाम पर पहाड़ और जंगल की पगडंडी है. तांतीपाड़ा से कोलाबाड़िया गांव तक जाने के लिए चार किमी रास्ता नहीं है. इसी पहाड़ी-पगडंडी से उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी कुछ दूर बाइक तो बाकी के रास्ते पैदल चलकर गांव पहुंचे. पहली बार कोई डीसी इस पहाड़ी गांव में पहुंचा. ग्रामीणों के बीच जमीन पर बैठकर डीसी ने सीधा संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं. ग्रामीणों ने उपायुक्त के समक्ष कई जरूरी समस्याएं रखीं. जिनमें मुख्य रूप से सड़क की समस्या प्रमुख थी. इसके साथ बिजली, पेयजल की समस्या, आवास योजना का लाभ, स्थायी आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण आदि शामिल है. डीसी ने ग्रामीणों से संवाद के दौरान मौके पर ही संबंधित विभागीय पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक मांग की प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित करें. डीसी ने कहा कि योजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शी तरीके से हो और ग्रामीणों को इसका लाभ समय पर मिले. उन्होंने ग्रामीणों को आजीविका से जोड़ने तथा कृषि, पशुपालन की योजनाओं से भी आच्छादित करने के निर्देश दिया.

16 साल बाद भी कोलाबाड़िया प्रावि भवन अधूरा

3जी 31- अधूरे स्कूल का जायया लेते डीसी. 3जी 32- घर में चलता आंगनबाड़ी का निरीक्षण करते डीसीडीसी ने कोलाबाड़िया प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण भी किया, जहां 18 बच्चे नामांकित हैं. 16 साल बाद भी विद्यालय को ठेकेदार पूरा नहीं कर पाया. वर्तमान में एक कक्षा में एक से पांच तक पढ़ाई होती है. डीसी यह देखकर बीडीओ को फटकार लगायी और जल्द पूर्ण करने का आदेश दिया. अस्थायी आंगनबाड़ी केंद्र का भी निरीक्षण किया. यह केंद्र निजी घर में चलता है. आंगनबाड़ी केंद्र 2007 में शुरू शुरू हुआ था, आज यहां 21 बच्चे नामांकित हैं. इस केंद्र का अपना भवन नहीं बना है. वर्तमान में केंद्र भी पूरी तरह जर्जर है. आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका माधो मार्डी ने बताया कि 200 रुपये प्रतिमाह भाड़ा देकर निजी घर में आंगनबाड़ी केंद्र चला रही हैं. 2015 के बाद भाड़ा नहीं मिला है. केंद्र में कमी मिलने पर सीडीपीओ व एमओ को शोकॉज करने का डीसी ने आदेश दिया है.

डीसी ने बच्चों से की बात, शिक्षकों से भी ली जानकारी

डीसी ने बच्चों से बात कर पठन-पाठन, उपस्थिति तथा पाठ्य सामग्री की जानकारी ली. उन्होंने शिक्षकों से भी चर्चा की और क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक सहयोग का आश्वासन दिया. डीसी ने बच्चों को प्रेरणा दी कि वे नियमित रूप से विद्यालय आएं और मन लगाकर पढ़ाई करें. डीसी ने ग्रामीणों से अपील की कि वे योजनाओं के क्रियान्वयन में सहभागी बनें और समस्याओं की जानकारी पंचायत व प्रखंड स्तर पर समय-समय पर दें. ताकि उचित निराकरण संभव हो सके. डीसी ने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि अंतिम व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुंचे.

ग्रामीणों ने कहा- सर! रास्ता बनवा दें

ग्रामीणों ने मांग की कि हमलोग को आने-जाने में कठिनाई होती है. जल्द रास्ता बना दीजिए. साथ ही पानी के लिए लिए कुआं या चापाकल की व्यवस्था करा दीजिए.हमलोग गड्ढे का पानी पीते हैं. अक्सर बीमार पड़ते हैं. बिजली गांव में नहीं रहती. एक बार खराब होने पर 20 दिन तक नहीं आती है. हमलोग 15 किमी दूर राशन लेने जाते हैं. नर्स नहीं आती हैं. मौक पर दासो टूटू, बुढ़ान मुर्मू, वकील मुर्मू, डेबो मार्डी, रगड़ा टुडू आदि ग्रामीण मौजूद थे. वहीं, पदाधिकारियों में घाटशिला के एसडीओ सुनील चंद्र, बीडीओ डांगुर कोड़ाह, शिव नाथ मार्डी, फूलमनी मुर्मू, गौर चंद्र पात्र आदि मौजूद थे.

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