डुमरिया.
कुष्ठ रोग को लेकर समाज में आज भी भ्रांतियां हैं. ऐसा ही मामला डुमरिया प्रखंड में देखने को मिला. दरअसल, 65 वर्षीय बाउड़ा सबर को कुष्ठ रोग था. वह अपने बेटी-दामाद के साथ बीते 10 वर्षों से रह रहा था. ग्रामीणों को पता चला कि बाउड़ा सबर को कुष्ठ रोग है. ऐसे में ग्रामीणों ने दबाव देकर कुष्ठ रोगी को सीएचसी पहुंचा दिया. डुमरिया सीएचसी में इलाज के बाद बाउड़ा सबर का कुष्ठ रोग ठीक हो गया. इसके बावजूद ग्रामीण उसे गांव में नहीं आने दे रहे थे. ग्रामीणों में भ्रांति थी कि कुष्ठ रोगी के रहने से गांव में रोग फैल जायेगा. ऐसे में बाउड़ा सबर काफी दिनों से डुमरिया सीएचसी में था.ग्रामीणों को समझाकर भ्रांतियां दूर की
गयीं
इसकी जानकारी मिलने पर डुमरिया प्रखंड के छात्र नेता उदय मुर्मू, केंदुआ पंचायत के मुखिया, डुमरिया सीएचसी के एमपीडब्ल्यू सुकराम महाली व बड़ाकांजिया की पंसस पार्वती हेंब्रम ने ग्रामीणों को समझाया. लोगों को जागरूक कर भ्रांतियों को दूर किया. इसके बाद बुधवार को 65 वर्षीय बाउड़ा सबर को डुमरिया सीएचसी से उसके बेटी-दामाद के घर सिरकलडीह पहुंचाया गया.
ग्रामीण बोले- नहीं करेंगे भेदभाव
एमपीडब्ल्यू सुकराम महाली व उदय मुर्मू ने गांव जाकर टोला प्रधान काशी सबर व अन्य ग्रामीणों को समझाया कि कुष्ठ पीड़ित का बहिष्कार नहीं किया जा सकता है. यह अपराध है. बाउड़ा सबर इसका इलाज करवा चुके हैं. इसके बाद ग्रामीणों ने आश्वस्त किया कि बाउड़ा सबर के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा. बुधवार को बाउड़ा सबर को एंबुलेंस से उसके बेटी-दामाद के घर पहुंचाया गया. उन्हें सीएचसी से भेजा गया, तो उनकी आंखें भर गयीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है