घाटशिला.
पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने सोमवार को घाटशिला प्रखंड के काशिदा में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन से निर्माणाधीन हेरिटेज विलेज का निरीक्षण किया. उन्होंने करीब 45 मिनट तक योजनाओं से चल रहे कार्यों को देखा. इस दौरान आस-पास के गांवों के ग्राम प्रधान और महिलाओं ने अंग वस्त्र देकर डीसी का स्वागत किया. डीसी ने संताली भाषा में अडी-अडी सराव कहकर शुभकामनाएं दी. डीसी ने निर्माण कार्यों में हो रही देरी पर पदाधिकारियों व कार्य एजेंसी (संवेदक) से चर्चा की.जिले की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण कदम
डीसी ने कहा कि हेरिटेज विलेज से संबंधित सारे दस्तावेज की जांच करेंगे. ग्रामीणों की इच्छा है कि हेरिटेज विलेज जल्द चालू हो. यह वर्ष 2016- 17 की योजना है. वर्ष 2025 में योजना पूरी नहीं हुई. डीसी ने संवेदक व पदाधिकारियों को निर्देशित किया कि दो माह के भीतर अधूरे कार्य पूरे करें, ताकि हेरिटेज विलेज को पर्यटकों के लिए खोला जा सके. डीसी ने कहा कि यह परियोजना जिले की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे स्थानीय पर्यटन और रोजगार को बल मिलेगा.ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं, समाधान के निर्देश दिये
इस दौरान ग्रामीणों ने बिजली आपूर्ति, जल निकासी व अन्य समस्याओं से उपायुक्त को अवगत कराया. उन्होंने संबंधित विभागों को समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. उपायुक्त ने स्पष्ट कहा कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाये. डीसी ने ग्राम प्रधान भादो मुर्मू व महिलाओं की बातें गंभीरता से सुनीं. भादो मुर्मू ने बताया कि चेंगजोड़ा स्थित फुटबॉल मैदान एक व्यक्ति के कब्जे में है. उसे निरस्त करते हुए सार्वजनिक फुटबॉल मैदान बनाया जाये. वन विभाग ने फुटबॉल मैदान को एनओसी दे दिया है.
‘मुखिया प्रतिनिधि नहीं, मुखिया की बात सुनूंगा’
इस दौरान मुखिया प्रतिनिधि सपन मुंडा डीसी को ज्ञापन देने पहुंचे. डीसी ने कहा कि मैं खुद मुखिया से बात करूंगा. उसके बाद मुखिया ताराणी मुंडा ने ज्ञापन संबंधित पदाधिकारी को सौंप दिया. ग्रामीणों से विभूति संस्कृति संसद, गौरी कुंज समेत अन्य जानकारी ली. उन्होंने कहा कि एक बार वहां भी जायेंगे.कोरोना काल में काम बंद हुआ, कई बार फंड की कमी बनी बाधा
रुर्बन मिशन कला मंदिर के संचालक अमित घोष ने डीसी से कहा कि वर्ष 2016- 17 की योजना का अबतक पूरा नहीं होने के कई कारण हैं. कोरोना काल में योजना बंद हो गयी. दोबारा चालू हुई, तो कई बार फंड का अभाव में काम रूक गया. एक भवन काफी समय पहले बना था. उस भवन का नाम रामदास टुडू हेरिटेज विलेज रखा गया. योजना की लागत डेढ़ करोड़ रुपये तय थी, लेकिन साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. यह हेरिटेज विलेज ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखकर बनाया गया था, लेकिन वर्तमान स्थिति काफी बदहाल है. अधिकांश कमरों में एसी है, पर सफाई की व्यवस्था नहीं के बराबर है. चारों ओर झाड़ियां उग आयी हैं.
बंजर भूमि बन गयी उपजाऊ
अमित घोष ने बताया कि पहले यह क्षेत्र बंजर था, लेकिन अब उपजाऊ भूमि में बदल चुका है. हेरिटेज विलेज के भीतर तीन तालाब बनाये गये हैं, साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए स्टेज और हर वर्ग विशेषकर आदिवासी समुदाय के लिए अलग-अलग विरासत स्थल भी विकसित किये गये हैं. मौके पर ग्रामीण विकास विभाग के जिला के निदेशक शीतल कुजूर, एसडीओ सुनील चंद्र, एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर, घाटशिला सीओ निशांत अंबर, घाटशिला बीडीओ यूनिका शर्मा समेत कई पदाधिकारी उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है