पटमदा.
दलमा पहाड़ी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पुजारी व गौशाला के संचालक हैंजल सिंह बाबा का सोमवार सुबह हार्ट अटैक से देहांत हो गया. वह बोड़ाम थाना क्षेत्र के खोखरो गांव के रहने वाले थे और विगत 40 वर्षों से अधिक समय से मंदिर की सेवा में लगे हुए थे. हैंजल बाबा अविवाहित थे और पिछले 3- 4 माह से खोखरो गांव में ही रहते थे. दलमा बूढ़ा बाबा सेवा समिति से जुड़े लोगों ने उनके पैतृक गांव खोखरो में ही अंतिम संस्कार समाधी बना दिया. हैंदल बाबा के पशु प्रेम की चर्चा दलमा के तराई पर स्थित दर्जनों गांवों में होती थी.गौशाला में सौ से अधिक गाय और बैल
मालूम हो कि दलमा मंदिर के गौशाला में सौ से अधिक गाय और बैल हैं जिनकी सेवा लगातार करते आ रहे थे. वह सभी गायों को नाम भी जानते थे और जरूरत पड़ने पर पुकारते भी थे. जंगल में प्रतिदिन चरने के लिए छोड़ देते थे, शाम होते ही प्रत्येक गाय, बैल को नाम से बुलाकर गौशाला में बांधते थे. हैंजल बाबा की जब किसी पशु को कोई बीमारी होती थी तो वह उसकी दवाई दलमा के जड़ी बूटी से करते थे. दलमा बूढ़ा बाबा के मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालुओं का आदर सत्कार भी करते थे. यही वजह है कि श्रद्धालु भी उन्होंने खूब पसंद करते थे. उनके अंतिम संस्कार व समाधि में दलमा बूढ़ा बाबा सेवा समिति के सुचांद सिंह, रविंद्र सरदार, भानु सिंह, राधेश्याम सिंह, अंगद सिंह आदि भी शामिल हुए. सुचांद सिंह ने बताया कि जब दलमा के पुजारी शिवचरण सिंह व अन्य पुजारी कहीं बाहर जाते थे, तो उनकी अनुपस्थिति में बाबा की पूजा हैंजल सिंह बाबा ही करते थे. उनके निधन से दलमा मंदिर व खोखरो गांव में शॉक की लहर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है