चाकुलिया.
चाकुलिया प्रखंड की चालुनिया पंचायत के दुबराजपुर गांव में बड़ाघाट सांस्कृतिक मेला का आयोजन हुआ. इसमें बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन शामिल हुए. उन्होंने कहा कि बड़ाघाट मेले में कई राज्यों के संताली समुदाय के लोग शामिल होते हैं. यह सांस्कृतिक एकता की पहचान है. संताली समाज झारखंड से लेकर बिहार तक तथा पश्चिम बंगाल से लेकर ओडिशा तक एक है. आदिवासी समाज पर काफी अन्याय हुए हैं. आदिवासियों की सुरक्षा कवच सीएनटी एक्ट होते हुए भी जमीन नहीं बच रही है. जल, जंगल और जमीन के लिए एक बार फिर से जन आंदोलन शुरू करना होगा. मेले में संताली समाज ने अपनी परंपरा और पहचान को बचाने का संकल्प लिया. मौके पर नंदलाल टुडू, मेला कमेटी के अध्यक्ष कारमू हांसदा, सचिव अनूप मांडी, कोषाध्यक्ष शिवनाथ हांसदा, रामचंद्र मांडी, दशरथ मांडी, सुसेन मांडी, चामटु हांसदा, भीम मांडी, शिवनाथ मांडी, चरण मांडी, उत्तम हांसदा, लक्ष्मण हेंब्रम आदि उपस्थित थे.बारिश के बाद भी उमड़ी भीड़
बारिश के बाद भी बड़ाघाट मेले में हजारों की भीड़ उमड़ी. मेले में उपस्थित लोगों ने पारंपरिक नृत्य एवं संगीत का लुत्फ उठाया. खाने-पीने की कई दुकानें लगी थी. पारंपरिक वेशभूषा में सज धजकर संताली समुदाय के लोग बड़ाघाट मेले में शामिल हुए. प्रतिवर्ष कनाईश्वर पहाड़ पूजा के अगले दिन दुबराजपुर स्कूल के समीप मैदान में बाड़ाघाट मेले का आयोजन किया जाता है.
मेले में बनती हैं संताली युवक-युवतियों की जोड़ियां
बड़ाघाट मेला संताली परंपरा एवं संस्कृति की पहचान के तौर पर विकसित हो चुका है. मेला कमेटी के सचिव अनूप मांडी ने बताया कि इस मेले की पहचान संताली समुदाय के युवक-युवतियों के प्रेम से कायम है. मेले में संताली युवक युवतियों की जोड़ियां बनती हैं. युवक युवती अपने पसंद के मुताबिक एक-दूसरे को जीवनसाथी के तौर पर चुनते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है