घाटशिला.
संताली भाषा, ओलचिकी लिपि और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और प्रसार के लिए भारतीय संताली लेखक संघ (झारखंड शाखा) व अखिल झारखंड संताली शिक्षक संघ ने बेहतर प्रयास किया है. पूर्वी सिंहभूम जिले के 250 से अधिक विद्यालयों में 10 दिवसीय समर कैंप का आयोजन 23 मई से 1 जून 2025 तक हो रहा है. समर कैंप का उद्घाटन गुरुवार को घाटशिला में हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, विशिष्ट अतिथि देश परगना बैजू मुर्मू, सम्मानित अतिथि साधु रामचंद मुर्मू और झाड़ग्राम विश्वविद्यालय के सीनियर लॉ मंगल सोरेन उपस्थित थे. पंडित रघुनाथ मुर्मू की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी. मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि संताली समाज की भाषा, लिपि और संस्कृति को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाना समय की मांग है. इसके लिए समाज को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. झारखंड सरकार मातृभाषा में शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. जल्द ही जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के 10 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी. बंद पड़े स्कूलों (जहां बच्चों को जानलेवा रास्तों से होकर स्कूल जाना पड़ता है) को खोला जायेगा.समाज का विकास हर व्यक्ति का दायित्व : बैजू मुर्मू
समारोह में देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि अपने समाज को कुछ लौटाये. जिस समाज ने आपको पहचान दी, उसके लिए कार्य करना आपका दायित्व है. पारंपरिक गीत-संगीत और ओलचिकी लिपि पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी ने समारोह को जीवंत बना दिया. कैंप में विद्यार्थियों को ओलचिकी लिपि, संताली साहित्य और संस्कृति की निःशुल्क शिक्षा दी जायेगी. मौके पर साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भुजंग टुडू, वयोवृद्ध लेखक शोभा नाथ बेसरा, सुभाष चंद्र मांडी, मोहन चंद्र बास्के, प्रमुख सुशीला टुडू, मुखिया पार्वती मुर्मू, सुनील कुमार मुर्मू, दुखु सोरेन, हराधन मांडी, दुमका बिदू मुर्मू, साबित्री मुर्मू, रामचंद्रा हांसदा, लखी हांसदा आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है