गालूडीह. इन दिनों हाट-बाजार में टमाटर के दाम काफी गिर गये हैं. 10 रुपये में कहीं डेढ़ किलो तो कहीं एक किलो टमाटर मिल रहा. हाट में तो शाम होने पर पांच रुपये तक टमाटर बेचकर किसान घर लौट जा रहे हैं. इससे किसानों को गांव से हाट-बाजार तक टमाटर लेकर आने का भाड़ा खर्च तक नहीं उठ रहा है. इसे देखते हुए झाटीझरना पंचायत के कांटाबनी के किसानों ने खेत में कई क्विंटल टमाटर सड़ने के लिए छोड़ दिया. इससे टमाटर पककर सड़कर बर्बाद हो रहा. टमाटर बैल-बकरी खा रहे हैं. किसानों का इससे बड़ा दर्द और क्या हो सकता है. मेहनत, पैसा और समय सब बेकार चला गया. हासिल कुछ नहीं हुआ.
कांटाबनी गांव के एक बड़े भू-भाग में लाल-लाल टमाटर सड़ रहे हैं. बैल-बकरी खा रहे हैं. झाटीझरना पंचायत के पूर्व मुखिया सुकुमार सिंह ने कहा कि टमाटर को घाटशिला, मऊभंडार या गालूडीह बाजार-हाट तक ले जाने में भाड़ा खर्च भी नहीं आ रहा है. झाटीझरना से बाजार-हाट की दूरी 25 से 30 किमी है. उपर से जंगल-पहाड़ और जर्जर सड़क. इसलिए खेत में टमाटर छोड़ देना उचित समझा. झाटीझरना उउवि के शिक्षक डॉ कमर अली भी उक्त किसान से मिले और उनका दर्द जाना. किसान ने उन्हें खेत दिखाकर अपना दुखड़ा बयां किया. एक समय टमाटर 80 से 100 रुपये किलो बिक रहा था, पर आज 10 रुपये किलो भी कोई लेने वाला नहीं है.कोल्ड स्टोरेज की सुविधा होती, तो आज टमाटर खेत में नहीं सड़ता
किसान ने कहा कि कोल्ड स्टोर की सुविधा होती, तो आज खेत में सड़ने के लिए टमाटर नहीं छोड़ते. जब बाजार में दाम चढ़ता तो कोल्ड स्टोर से निकाल कर टमाटर बेचते, तो अच्छा दाम मिलता. घाटशिला प्रखंड में कोल्ड स्टोर कहीं नहीं है. काशिदा के रूबर्न मिशन में एक बना है जो अब तक चालू नहीं हुआ है. शिक्षक डॉ कमर अली ने कहा सरकार इसपर ध्यान दे. कोल्ड स्टोर जल्द चालू करे, ताकि इस क्षेत्र के किसान अपनी उत्पाद रख सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है