चाकुलिया. झारखंड में आदिवासी समाज के धर्मांतरण के खिलाफ एकजुटता जरूरी है. अगर अभी भी नहीं चेते, तो भविष्य में हमारे जाहेरथानों, सरना स्थलों व देशाउली में पूजा करने वाला कोई नहीं बचेगा. साहिबगंज, राजमहल, दुमका व पाकुड़ जैसे स्थानों में भूमिपुत्रों की स्थिति दयनीय है. उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहीं. वे रविवार को चाकुलिया में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. चाकुलिया टाउन हाॅल में आदिवासी सांवता सुशार अखाड़ा और भारत जकात माझी परगना महाल ने कार्यक्रम आयोजित किया.
“जागो आदिवासी जागो ” का नारा दिया
पूर्व सीएम ने कहा कि झारखंड के रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी आदि क्षेत्रों में तेजी से आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. मैं आदिवासियों को जगाने के लिए आया हूं. उन्होंने “जागो आदिवासी जागो ” का नारा दिया. कहा कि जिस आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिए बाबा तिलका माझी, वीर सिदो-कान्हू, पोटो हो, टाना भगत व भगवान बिरसा मुंडा ने बलिदान दिया, उसे हम मिटने नहीं देंगे.दूसरे समाज में शादी करने वाले आदिवासी को आरक्षण का लाभ न मिले
श्री सोरेन ने कहा कि झारखंड को मुर्शिदाबाद की तरह नहीं बनने देना है. धर्म परिवर्तन नहीं चलेगा. बांग्लादेशी घुसपैठियों को यहां जगह नहीं मिलेगी. दूसरे समाज में शादी करने के बाद उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जायेगा. इन मुद्दों के साथ अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाना है. संताल परगना में आदिवासियों के इन मुद्दों के साथ विशाल जनआंदोलन करेंगे. इस लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाया जायेगा. मौजूद हजारों लोगों ने दोनों हाथ उठा कर उनका समर्थन किया. चाकुलिया तरफ परगना बाबा परमेश्वर मांडी ने महासम्मेलन की अध्यक्षता की. मौके पर दिशोम परानिक बाबा चंद्र मोहन मांडी, पश्चिम बंगाल पमत परगना बाबा विजय चंद्र सोरेन, पीड़ परगना बाबा नंदलाल मुर्मू, पूर्व जिला परिषद सदस्य सुनाराम हांसदा, कालीचरण मांडी, मदन मोहन हेंब्रम, सुकलाल मुर्मू, मंगल मुर्मू, चुनकाई मुर्मू आदि उपस्थित थे.घुसपैठियों को जमाई टोला बनाने की लिए जमीन किसने दी ?
साहिबगंज की जिला परिषद अध्यक्ष का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट से एक महिला जीती. उक्त महिला के पति मुस्लिम समुदाय से आते हैं. दूसरे समाज में शादी के बाद हमारे समाज में बेटियों का जीते जी अंतिम संस्कार कर दिया जाता है, तो फिर ये लोग हमारे समाज के अधिकारों में अतिक्रमण कैसे कर रहे हैं? आदिवासी समाज में शादी के बाद बेटियों को पैतृक संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता है. उन्हें सारे अधिकार ससुराल में मिलते हैं, फिर एसपीटी एक्ट लागू रहने के बावजूद इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को जमाई टोला बनाने के लिए जमीन उपलब्ध करवाने वाले कौन हैं?कपाली में आदिवासियों की डेढ़ सौ एकड़ जमीन छीन ली गयी
उन्होंने सरायकेला-खरसावां जिले के कपाली के बांधगोड़ा गांव का उदाहरण देते हुए बताया कि सीएनटी एक्ट लागू होने के बावजूद वहां भी आदिवासियों की 150 एकड़ से अधिक जमीन छीनी जा चुकी है. इसे रोकना जरूरी है.कांग्रेस ने आदिवासियों को हमेशा धोखा दिया
पूर्व सीएम ने कहा कि झारखंड में अबुआ सरकार है. आदिवासियों को बस यही सोचकर खुश रहना होगा. कांग्रेस के साथ गठबंधन कर विकास की बात करना बेमानी है. कांग्रेस ने आदिवासियों को हमेशा से धोखा दिया है. सन 1961 में आदिवासी धर्म कोड हटवाने वाली व झारखंड आंदोलन के दौरान कई बार आदिवासियों पर गोली चलवाने वाली कांग्रेस ने आदिवासी नेता कार्तिक उरांव द्वारा लाये गये डीलिस्टिंग बिल को 322 सांसदों व 26 राज्यसभा सांसदों के लिखित समर्थन के बावजूद ठंडे बस्ते में डाल दिया था.दिशोम जाहेरगाढ़ में की पूजा, आदिवासी परंपरा से हुआ स्वागत
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने चाकुलिया स्थित दिशोम जाहेरगाढ़ में पूजा-अर्चना कर सुख, शांति व समृद्धि की कामना की. इसके उपरांत पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का चाकुलिया में आदिवासी परंपरा से पांव धोकर, पुष्पगुच्छ देकर व साल के पत्तों से बनी टोपी पहनकर स्वागत किया गया.आदिवासी लोक नृत्य प्रस्तुत
एक दिवसीय आदिवासी महासम्मेलन के दौरान चाकुलिया दिशोम जाहेरगाढ़ में आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया. आदिवासी परिधानों में सज धज कर लोकनृत्य प्रस्तुत किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है