मुसाबनी.
एचसीएल (हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड) की बंद पड़ी राखा कॉपर खदान के संचालन का ग्लोबल टेंडर ठेका कंपनी साउथ वेस्ट माइनिंग प्रालि (एसडब्ल्यूएमएल) को मिला है. ठेका कंपनी जुलाई, 2025 से राखा माइंस से पानी निकासी का कार्य शुरू करेगी. जानकारी के अनुसार, ठेका कंपनी ने माइंस से पानी निकासी की जिम्मेवारी डेल्टा कंपनी को सौंपा है. वहीं, ठेका कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया की खनन विशेषज्ञ कंपनी एएमसी को खदान चालू कर 15 लाख टन उत्पादन क्षमता के विकास की डीपीआर बनाने का काम सौंपा है. ऑस्ट्रेलियाई कंपनी माइंस में अयस्क भंडार का पता लगाने के लिए बोर होल भी करेगी. नये सिरे से राखा कॉपर माइंस में कॉपर भंडार का पता लगायेगी.60 मिलियन टन कॉपर भंडार ज्ञात, 2001 में बंद हुई खदान
ज्ञात हो कि जुलाई, 2001 से बंद राखा माइंस में करीब 60 मिलियन टन कॉपर का भंडार ज्ञात है. सूत्रों के अनुसार, भंडार में और बढ़ोतरी संभव है. राखा माइंस में तांबे का ग्रेड .77% से .90% का है. तांबे के मूल्य में आयी भारी गिरावट के कारण 7 जुलाई, 2001 में एचसीएल ने राखा कॉपर माइंस को बंद कर दिया था. उस समय माइंस की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन करीब 1000 टन थी. माइंस में करीब 700 मजदूर काम करते थे. माइंस बंद होने के कारण सभी मजदूरों को जबरन वीआरएस लेना पड़ा था. राखा कॉपर माइंस का विकास एमइसीएल ने किया था. 1971 में राखा कॉपर माइंस की लीज एचसीएल को मिला. 1973 से एचसीएल ने राखा कॉपर माइंस का संचालन की जिम्मेदारी संभाली थी.785 हेक्टेयर है लीज क्षेत्र
राखा माइंस का लीज क्षेत्र 785 हेक्टेयर में है. इसमें 98.932 हेक्टेयर वन भूमि है. राज्य सरकार ने एचसीएल को राखा माइंस की लीज 20 वर्षों के लिए विस्तारीकरण किया है. राखा माइंस के लीज क्षेत्र में 7 राजस्व ग्राम हैं. मुर्गाघुटू को छोड़कर बाकी छह गांव तेतुलडांगा, रोआम, कुलामारा, कुमीरमुढ़ी, ईचड़ा व माटीगोड़ा वन क्षेत्र में हैं.राखा माइंस के लीज क्षेत्र में प्रस्तावित चापड़ी माइंस शामिल
वहीं, राखा माइंस के लिए स्टेज 2 के पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए ग्रामसभा हो रही है. पूर्व में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राखा माइंस के लिए स्टेज वन का पर्यावरण स्वीकृति दी है.
राखा माइंस के लीज क्षेत्र में प्रस्तावित चापड़ी माइंस स्थित है.2500 करोड़ रुपये करने होंगे खर्च
बंद राखा माइंस को चालू करने, चापड़ी माइंस को विकसित करने और मैचिंग कैपेसिटी का क्रशर व कंसंट्रेटर संयंत्र बनाने के लिए करीब ढाई हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. ठेका कंपनी राखा माइंस से 15 लाख टन और प्रस्तावित चापड़ी माइंस से प्रति वर्ष 15 लाख टन ताम्र अयस्क का उत्पादन करेगी. ठेका कंपनी पहले राखा माइंस को चालू करेगी. उसके बाद चापड़ी माइंस को खोला जायेगा.
चापड़ी में 200 मिलियन टन का भंडार
सूत्रों के अनुसार, चापड़ी माइंस में करीब 200 मिलियन टन ताम्र अयस्क का भंडार है. यहां के ताम्र अयस्क में करीब एक प्रतिशत तांबे का ग्रेड है. राखा कॉपर माइंस के चालू होने, चापड़ी माइंस खुलने व कंसंट्रेटर संयंत्र बनने से क्षेत्र में खनन गतिविधियां का नये सिरे से विस्तार होगा. क्षेत्र में रोजगार सृजन होगा. आर्थिक गतिविधियों को एक नयी दिशा मिलेगी. बंद राखा माइंस व चापड़ी माइंस देश के तांबे की मांग को पूरा करने में अपना योगदान करेंगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है