गढ़वा.
छोटे से गांव से निकलकर बड़े सपनों को हकीकत में बदलने वाली गढ़वा की बेटी छाया कुमारी ने प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है. मूल रूप से गढ़वा प्रखंड के अकलवानी गांव निवासी सुनील दुबे की पुत्री छाया ने यूपीएससी 2024 की परीक्षा में 530वां रैंक हासिल किया है. छाया ने यह सफलता अपने चौथे प्रयास में हासिल की है. पांच महीने पूर्व छाया को बीपीएससी परीक्षा में सफलता मिली थी. वर्तमान में वह बिहार के गया जिले में इंफोर्समेंट ऑफिसर के पद पर प्रशिक्षु के रूप में सेवारत है. छाया ने जेपीएससी की परीक्षा भी दी है, लेकिन उसका रिजल्ट अभी नहीं आया है. शुरुआत से ही थी मेधावी छात्राछाया की शुरुआती शिक्षा गढ़वा जिला मुख्यालय स्थित शांति निवास उच्च विद्यालय से हुई. मैट्रिक के बाद उन्होंने कोडरमा स्थित नवोदय विद्यालय से आइएससी की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद एसएसजेएस नामधारी कॉलेज, गढ़वा से बीएससी और फिर नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय से गणित विषय में एमएससी की. बीएससी व एमएससी दोनो में छाया कुमार को नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय स्तर पर गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है. उसे झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के हाथों गोल्ड मेडल प्रदान मिला था.चाचा ने बढ़ाया हौसला, संभाली जिम्मेदारीगोल्ड मेडल हासिल करने के बाद जब छाया ने आगे की पढ़ाई का इरादा जताया, तो परिवार की आर्थिक स्थिति आड़े आ रही थी. पिता सुनील दुबे खेतीबाड़ी कर किसी तरह घर चलाते थे और उच्च शिक्षा के लिए संसाधन नहीं थे. ऐसे समय में छाया ने अपने गोल्ड मेडल को चाचा श्रवण दुबे के गले में डालकर मदद के लिए कहा. छाया के इस समर्पण से भावुक होकर श्रवण दुबे, जो कि छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में ठेकेदारी करते हैं, ने उनकी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी उठा ली. इसके बाद वह दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने चली गयी.
घर पर रहकर की तैयारीदिल्ली में एक साल रहकर यूपीएससी की कोचिंग करने के बाद छाया ने शेष तैयारी अपने गांव अकलवानी में रहकर ही की. इसी दौरान उसने बीपीएससी व जेपीएससी की परीक्षा भी दी. सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि ठान लेने पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है. छाया अपने एक बहन व एक भाई में सबसे बड़ी है. वे दोनों भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.परिवार में जश्न का माहौलछाया की सफलता से पूरे परिवार में खुशी और गर्व का माहौल है. पिता सुनील दुबे, मां सीमा देवी, चाचा श्रवण दुबे, बहन कृति कुमारी और भाई अंकित दुबे ने इसे जीवन का सबसे यादगार पल बताया है. सभी ने छाया की मेहनत, आत्मविश्वास और समर्पण की सराहना करते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी है. गढ़वा की इस बेटी ने यह साबित कर दिया कि सपने चाहे जितने बड़े हों, अगर जज्बा हो, तो उन्हें पूरा किया जा सकता है.
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