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केज कल्चर से जोड़कर विस्थापितों को दिया जा रहा है रोजगार

केज कल्चर से जोड़कर विस्थापितों को दिया जा रहा है रोजगार

गढ़वा. जिला प्रशासन ने गढ़वा सदर प्रखंड स्थित अन्नराज डैम में अनाबद्ध निधि योजना के तहत केज कल्चर योजना शुरू की है. उपायुक्त शेखर जमुआर ने इस डैम में केज कल्चर योजना की स्वीकृति प्रदान करते हुए लाभुक समिति के माध्यम से इसपर कार्य शुरू किया था. इसे नीली क्रांति नाम दिया गया है. जिला मुख्यालय से लगभग 12 किमी दूर स्थित अन्नराज डैम में संचालित इस योजना के माध्यम से मत्स्य पालन कर स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है. उपायुक्त ने बताया कि केज कल्चर योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय विस्थापितों को रोजगार उपलब्ध कराना, उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना, जिले को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना, स्थानीय लोगों को उचित दर पर ताजा मछली उपलब्ध कराना तथा अन्नराज डैम के प्रति पर्यटकों को आकर्षित करना है. योजना पूर्ण होने पर मत्स्य विभाग को हस्तांतरित : उपायुक्त ने बताया कि केज कल्चर योजना के तहत स्थिर जल श्रोतों में पिंजरे (केज) बनाकर अंगुली आकार के मछलियों का पालन करते हुए इन्हें बड़ा कर बेचा जाता है. इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार, आर्थिक उन्नयन, पलायन पर रोक लगने के साथ-साथ पर्यटकों को भी बढ़ावा मिलता है. उपायुक्त ने बताया कि इस योजना का कार्य पूर्ण होने के बाद इसे मत्स्य विभाग को हस्तांतरण कर दिया गया है. इसके बाद जिला मत्स्य पदाधिकारी धनराज आर कापसे अन्नराज डैम में तैयार केज कल्चर की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. शनिवार को उपायुक्त शेखर जमुआर ने अन्नराज डैम का निरीक्षण कर तथा लाभुक समिति के लोगों से बात कर योजना की जानकारी ली. लाभुक समिति बनाकर हो रहा कार्य : उपायुक्त ने बताया कि पहले स्थानीय विस्थापितों के साथ बैठक कर केज कल्चर योजना के बारे में विस्तार से बताया गया. इसके बाद समिति के लोगों को प्रशिक्षण देकर जिला मत्स्य विभाग द्वारा गांव के कृषकों को संगठित कर मत्स्य पालन के लिए दो समिति का गठन किया गया. भदुआ समूह एवं ओबरा समूह नामक दो लाभुक समिति हैं. दोनों समिति मिलाकर लगभग 50 सदस्य हैं. जिनकी आजिविका मछली पालन से चलती है. उपायुक्त ने बताया कि समिति के लोगों के सराहनीय कार्यो को देखते हुए उन्हें अनुदान पर मोटर साइकल भी दी गयी है. इसके अतितिरक्त मत्स्य विभाग द्वारा इनलोगों के तत्काल आजिविका के लिए अनुदान पर मत्स्य स्पॉन, फीड, जाल इत्यादि प्रदान किया गया है. सभी सदस्य केज मत्स्य पालन से जुड़े : उपायुक्त ने बताया कि मत्स्य पालन से जुड़ने के बाद समिति के सभी लोगों को नियमित आय होने लगेगी. अभी दोनों समूह के सभी सदस्य पलायन छोड़कर केज मत्स्य पालन से जुड़ गये हैं. इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त हो चुका है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन का सपना है कि सभी किसान एवं उनके बच्चे शिक्षित व आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों. चिरका डैम में चल रही योजना : विदित हो कि गढ़वा जिले के चिनिया प्रखंड के चिरका डैम में भी केज कल्चर योजना संचालित है. जिला प्रशासन ने जिले के मझिआंव प्रखंड के खजूरी डैम के लिए भी योजना स्वीकृत की है. जल्द ही वहां भी केज कल्चर योजना शुरू होने की संभावना है.

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