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यह शास्त्र की मर्यादा है कि गुरु मंत्र बताया नहीं जाता

यह शास्त्र की मर्यादा है कि गुरु मंत्र बताया नहीं जाता

गढ़वा. शहर के सोनपुरवा स्थित श्री राम लला मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा का शुभारंभ मंदिर समिति के अध्यक्ष अलख नाथ पांडेय ने किया. उन्होंने कहा कि राम कथा में सुनाये जा रहे प्रसंग को ध्यान से सुनकर उसे अपने जीवन में उतारें. मौके पर कथा वाचक आचार्य संजय शास्त्री ने कहा कि ये शास्त्र की मर्यादा है. शास्त्र कहता है कि जो गुरु जी गुरु मंत्र देते है पति-पत्नी को वह मंत्र भी एक दूसरे को नहीं बताना चाहिए. गुरु जी का दिया हुआ मंत्र गुप्त रखना चाहिए. माता पार्वती देवर्षि नारद जी से कहती हैं कि मेरे स्वामी महादेव मेरे से कोई बात नहीं छुपाते हैं. हर बात मुझसे कहते है. आज समाधि में भगवान राम का दर्शन हुआ, कृष्ण का दर्शन हुआ यानि कि वह मुझसे बहुत प्रेम करते है. माता पार्वती की बात सुनकर देवर्षि नारद ने कहा कि यह तो बहुत अच्छी बात है कि देवाधिदेव महादेव आप से कोई बात नहीं छुपाते. तब तो आप से यह बात भी बताते होंगे कि 24 घंटे अपने गले में मुंड की जो माला धारण किये रहते है, उस माला में किसके मुंड लगे हैं. यह सुनकर माता पार्वती देवर्षि नारद जी से कहती है कि हे देवर्षि देधिदेव महादेव ने तो यह बात मुझे आज तक नहीं बतायी. तब नारद जी माता पार्वती जी से कहते है कि महादेव आपसे प्रेम नहीं करते है. अगर प्रेम करते, तो यह बात आपको जरूर बताते. यह सुनकर माता पार्वती नाराज हो गयीं. भोले बाबा जब अपनी पर्णकुटी में आये, तब माता पार्वती को नाराज देख पूछा कि देवी क्या बात हैं आज आपके मुख मंडल पर उदासी दिख रही है. बहुत कहने पर माता पार्वती भोले बाबा से कहती है कि आप अपने गले में 24 घंटे मुंड की जो माला पहनकर घूमते हैं, उस माला में किनके मुंड लगे हैं. माता पार्वती के बात सुनकर महादेव के नेत्रों से आंसू गिरने लगे. बहुत देर बाद भोले बाबा ने माता पार्वती से कहा कि देवी आप जगदंबा हैं. इस धरती पर जब-जब आपने अपने शरीर का परित्याग किया है, तब-तब आपके मुंड को मैं अपनी माला में पिरो कर गले में धारण किया हूं. हमारे गले में आपके ही मुंड लगे हैं. भोले बाबा की बात सुनकर माता पार्वती बोलीं कि आपने किस अमृत का पान किया है कि आप मरते नहीं और जन्म नहीं लेते. वहीं मुझे बार-बार मरना और जन्म लेना पड़ता है. मुझे भी उस अमृत का पान करायें. महादेव ने कहा कि देवी मैंने जिस अमृत कथा का पान किया है, वह श्री मद्भागवत कथा है.

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