प्रतिनिधि, गढ़वा मेराल प्रखंड के दुलदुलवा गांव की तस्वीर अब धीरे-धीरे बदल रही है. लंबे समय से बदनाम रहे इस गांव में अब अवैध शराब का कारोबार घटने लगा है और इसकी वजह है अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार की पहल. करीब दो सप्ताह पहले इस गांव की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्होंने इसे गोद लिया और नशा मुक्ति के लिए लगातार दंडात्मक कार्रवाई के साथ-साथ मानवीय संवाद की रणनीति अपनायी. एसडीएम ने गांव के बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों से सीधा संवाद कर उन्हें समझाया कि शराब का अवैध कारोबार न सिर्फ जनस्वास्थ्य के लिए घातक है, बल्कि समाज की कानून-व्यवस्था को भी बिगाड़ता है. इसके बाद गांव में लगातार चौपाल, काउंसलिंग औरे प्रशासनिक सहयोग के जरिए माहौल बदलने लगा. अब गांव के कई लोग इस अवैध धंधे को छोड़कर वैकल्पिक रोजगार की ओर रुख कर रहे हैं. प्रशासन की ओर से उन्हें न सिर्फ प्रेरित किया जा रहा है, बल्कि आर्थिक सहयोग और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जा रही है. एसडीएम संजय कुमार ने यह भी घोषणा की कि जो लोग नशा छोड़ रहे हैं, उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाकर गांव में शराब विरोधी अभियान का चेहरा बनाया जायेगा और प्रशासनिक स्तर पर उन्हें सम्मानित भी किया जायेगा. गांव में राशन, पेंशन और आवास जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जल्द ही प्रशासनिक कैंप लगाया जायेगा. साथ ही उपायुक्त शेखर जमुआर, एसपी दीपक पांडेय और अन्य वरीय अधिकारी भी गांव पहुंचकर लोगों से संवाद करेंगे. गांव के लोगों का प्रशासन पर अब विश्वास बढ़ा है. पहले जो ग्रामीण पुलिस या सरकारी गाड़ी देखकर छिप जाते थे, वे अब एसडीएम के आते ही चौपाल में शांति से बैठकर न सिर्फ बात करते हैं, बल्कि नशा छोड़ने का वचन भी देते हैं. यह बदलाव इस बात का संकेत है कि यदि प्रशासन संवेदनशीलता के साथ काम करे, तो सबसे कठिन सामाजिक बुराइयों को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है