गढ़वा.
अमर कथाकार प्रेमचंद की अमर कृति गोदान (उपन्यास) का पलामू के कवि व साहित्यकार राकेश कुमार ने काव्यमय रूपांतरण किया है. इसे प्रभात प्रकाशन (नयी दिल्ली) ने प्रकाशित किया है. गढ़वा के साहित्यकार सुरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा है कि गोदान की यह नयी काया इस कृति का पुनर्जन्म है या पुनर्जागरण, यह द्वंद्व भी इसी के साथ जाग उठा है. आखिर गोदान के उपन्यास वाले मूल स्वरूप में क्या दुर्बलता थी या काव्यमय रूपांतरित गोदान में क्या नयापन है. भाषांतरण तो किसी कृति को विस्तार दे सकता है और विभिन्न भाषा-भाषी पाठकों तक उसकी पहुंच बढ़ा सकता है एवं कृति से उनको परिचित करा सकता है. किंतु एक ही भाषा में किसी कृति का विधा रूपांतरण का क्या औचित्य है, इसको तो परखना ही होगा. दरअसल इस इस नये गोदान को हम गा सकते हैं, संपूर्ण कथा को याद कर सकते हैं, चलते मंचीय कार्यक्रमों में भी सुना सकते हैं, इस व्यस्त समय में मूल कृति की मूल व मूल्यवान आत्मा का साक्षात्कार कर सकते हैं, कम अवधि में पूरी कथा शृंखला जान सकते हैं, क्या मूल कृति से इस रूपांतरित काव्यकृति का योगदान कम है? बिल्कुल नहीं. उपन्यास गोदान को समय व आवश्यकता के अनुरूप काव्य विधा में रूपांतरित कर सामाजिक और सार्वजनिक जीवन को सहजता से प्राप्त कराना एक साहित्यिक तप ही है. गोदान को नव स्वरूप देकर इस तेज चलती जिंदगी के समय में प्रासंगिक बनाना अपने आप में ही एक औचित्य है. इस कसौटी पर यह कृति सौ फीसदी खरी उतरेगी, समय यह सिद्ध कर देगा. लोकसभा अध्यक्ष को राकेश कुमार ने भेंट की पुस्तकगढ़वा. रांची स्थित स्वर्ण भूमि वैक्वेंट हाॅल में राजस्थान फाउंडेशन ने नागरिक अभिनंदन सामारोह आयोजित किया था. यहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती झारखंड के प्रांतीय महामंत्री सह पलामू के वरिष्ठ कवि और साहित्यकार राकेश कुमार ने अपनी नव प्रकाशित पुस्तक गोदान काव्य रूपांतरण भेंट किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है