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मई के अंतिम सप्ताह में भी प्री मॉनसून की बारिश, गर्मी से राहत

मई के अंतिम सप्ताह में भी प्री मॉनसून की बारिश, गर्मी से राहत

गढ़वा.

गढ़वा जिले में मई के अंतिम सप्ताह में भी लगातार बारिश हो रही है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक यह स्थिति 31 मई तक बनी रहेगी. लगभग हर दिन कमोबेश बारिश होगी. पिछले दो दिनों के अंदर कई प्रखंडों में अच्छी बारिश हुई थी. वहीं सोमवार को भी जिले के अधिकांश क्षेत्रों में अपराह्न बेला में गरज के साथ वर्षा हुई है. गढ़वा तथा आसपास के क्षेत्रों में 16 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी. वहीं कई क्षेत्रों में इससे भी अधिक बारिश होने की बात बतायी गयी. इसका असर तापमान पर पड़ा है. पूरे मई महीने में अधिकतम तापमान 40 डिग्री के नीचे रहा. हर साल लू से झुलसा देनेवाला जेठ का महीना इस बार खुशनुमा साबित हो रहा है. हालांकि प्री मॉनसून की इस बारिश से किसान काफी चिंतित व परेशान हैं. वहीं कृषि वैज्ञानिकों का कहना है मॉनसून के हिसाब से अपनी तैयारी करना ही किसानों के लिए लाभदायक होगा.

पूरे सप्ताह ऐसी ही रहेगी मौसम की स्थिति : डॉ अशोक कुमारवरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने बताया कि गत सप्ताह की तरह इस सप्ताह भी मौसम की स्थिति रहेगी. आंशिक रूप से बादल छाये रहेंगे एवं बीच-बीच में मौसम धुंधला बना रहेगा. तेज सतही हवाएं चलेंगी और गरज के साथ छिटपुट बारिश होती रहेगी. इससे दिन का तापमान जहां 35 से 40 डिग्री के बीच रह सकता है. वहीं रात को 23 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान रहेगा.

गरमा फसलों को बचाने के लिए जल निकासी जरूरीकृषि वैज्ञानिक ने बताया कि ऐसे मौसम में खड़ी फसलों के गिरने एवं जल भराव से बचाने के लिए किसानों को गरमा फसलों एवं सब्जियों में जल निकासी की व्यवस्था करनी होगी. उन्होंने किसानों को खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई कर खर-पतवार नियंत्रित करने के साथ यूरिया का प्रयोग करने की सलाह दी है.

सब्जी की नर्सरी को पॉलिथीन सीट से ढंक दें : उन्होंने कहा कि यदि संभव हो, तो सब्जी की नर्सरी को पॉलिथीन सीट से ढंक दें. बैंगन एवं मिर्च की नर्सरी तैयार होने पर बैंगन को 60 सेंटीमीटर एवं मिर्च को 50 सेंटीमीटर लाइन से लाइन एवं पौधा से पौधा की दूरी पर लगावें. इन्हें लगाने से पूर्व बिचड़ों को किसी फफूंद नाशक जैसे कार्बेन्डाजिम दो ग्राम या टेबुकोनाजोल एक ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल से उपचारित कर लें.

ढाल के विपरीत दिशा में जुताई करें : डॉ अशोक ने कहा कि इस समय खाली पड़े खेतों की ढाल के विपरीत दिशा में जुताई करें एवं खेत के मेंड़ को दुरुस्त कर लें. वर्षा जल संचयन के लिए खेत के निचले भाग में छोटे-छोटे गड्ढे यानी डोभा का निर्माण किया जा सकता है. किसान वर्तमान वर्षा का लाभ लेकर हरे खाद के लिए सनई या ढैंचा की बुवाई कर सकते हैं. इसे घुटने भर की हरी अवस्था में खरीफ फसलों के लगाने से पूर्व खेत में पलट देने से उर्वरा शक्ति काफी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि अब धान की खेती के लिए बिचड़े की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. साथ ही खरीफ दलहन- तेलहन की बुवाई भी शुरू होनी चाहिए.

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